उत्तराखंड का ‘द्वार’ खुलवाने में रही आडवाणी की अहम भूमिका

भारतीय राजनीति के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देने की घोषणा से उत्तराखंड के भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर है। उनके मुताबिक, आडवाणी का अयोध्या में रामजन्म भूमि आंदोलन के साथ अलग राज्य निर्माण में भी अहम भूमिका रही है।

उन्हें देश का सबसे बड़ा सम्मान देने की घोषणा हुई तो उनके सानिध्य में रह चुके नेताओं की स्मृतियां ताजा हो गईं। इनमें एक प्रमुख नाम पूर्व राज्यपाल और प्रदेश के खांटी राजनेता भगत सिंह कोश्यारी का भी है। आडवाणी को दिए गए सम्मान को लेकर भगत दा बहुत खुश हैं। वह कहते हैं, श्रेष्ठतम, तपस्वी, राजनेता, पत्रकार, लेखक, कुशल गृह मंत्री, बुजुर्ग नेता को यह सम्मान देकर पुनीत कार्य किया गया है।

आडवाणी ने कहा था – हरिद्वार नवोदित राज्य का द्वार
फिर वह उन पुरानी यादों को साझा करते हैं, जो बताती हैं कि उन्हें अविभाजित यूपी के पर्वतीय भूभाग के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक सरोकारों की कितनी गहरी समझ रही। भगत दा कहते हैं, दिल्ली में जब उत्तरांचल बन रहा था, तब हरिद्वार को इसमें मिलाए जाने को लेकर संशय था। तब आडवाणी ने हरिद्वार को शामिल करने पर जोर दिया।

उनका कहना था कि हरिद्वार नवोदित राज्य का द्वार है। द्वार के बगैर कैसा उत्तरांचल। कोश्यारी ने कहा, हरिद्वार उत्तरांचल का हिस्सा बना और आज कितना सुंदर राज्य हमारे सामने हैं। ये उनकी दूरदृष्टि का नतीजा है।

छोटे राज्यों के प्रबल हिमायती रहे

आडवाणी को भारत रत्न की घोषणा से प्रसन्न भाजपा के वरिष्ठ नेता ज्योति प्रसाद गैरोला के मुताबिक, आडवाणी हमेशा से ही छोटे राज्यों के प्रबल हिमायती रहे हैं। उम्रदराज होने के बावजूद बेहद ऊर्जावान और उत्साहित नेताओं में हैं। गैरोला बताते हैं कि जब उत्तराखंड राज्य बनाए जाने के विषय पर दिल्ली में एक बैठक बुलाई गई तो उसमें उन्हें शामिल होने का अवसर मिला। उन्होंने जिस समझ के साथ उत्तराखंड के पर्वतीय और तराई क्षेत्र के बारे में जानकारी साझा की, वहां मौजूद सभी हतप्रभ रह गए। उनका विजन एकदम साफ था कि वहां अलग राज्य बनाया जाना है, ताकि पहाड़ की नीतियां और नियोजन वहां के लोग अपनी परिस्थितियों और आवश्यकताओं के हिसाब से बना सकें।

परेड ग्राउंड में की थी विशाल रैली

जब उत्तराखंड राज्य आंदोलन में भाजपा सक्रिय भूमिका में आई तो परेड ग्राउंड में लालकृष्ण आडवाणी की एक विशाल रैली हुई। इस रैली में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। भाजपा नेता विनय गोयल कहते हैं, उसमें बड़ा जनसमूह उमड़ा था और जिस अंदाज में आडवाणी ने संबोधन किया था, उसने आंदोलन को नए मुकाम पहुंचाने में मदद की।

देर से पहुंची थी रथयात्रा, पर चेहरे से गायब थी थकान

भाजपा नेता ज्योति प्रसाद गैरोला कहते हैं कि आडवाणी की रामजन्म भूमि आंदोलन के दौरान रथ यात्रा देहरादून तय समय से बहुत देरी से पहुंची थी। वह लंबी यात्रा करके दून पहुंचे थे, लेकिन उनके चेहरे पर थकान दूर-दूर तक नजर नहीं आई। वे एकदम ताजा दिख रहे थे और उत्साहित होकर भाषण दे रहे थे। यही आडवाणी की सबसे बड़ी खूबी थी।

मित्तल परिवार से हैं पारिवारिक संबंध

भाजपा के प्रदेश कोषाध्यक्ष पुनीत मित्तल भी आडवाणी को भारत रत्न देने से खुश हैं। आडवाणी जब भी देहरादून या उत्तराखंड आते तो मित्तल परिवार का आतिथ्य ग्रहण करते। तब पुनीत मित्तल युवा मोर्चा में थे। एक बार आडवाणी को ऋषिकेश में रैली करनी थी। पिता नरेंद्र स्वरूप मित्तल भाजपा और संघ के बड़े नेताओं में से थे। पिता के साथ ऋषिकेश जाने का मौका उन्हें भी मिला। तब फिएट कार के सारथी बनने का उन्हें अवसर मिला था।

शिखर पुरुष आडवाणी शुचिता के सशक्त प्रतीक : धामी

यह हमारे लिए अत्यंत हर्ष एवं प्रसन्नता का क्षण है कि हम सभी के मार्गदर्शक एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। आडवाणीजी भारतीय राजनीति के शिखर पुरुष होने के साथ ही शुचिता और प्रतिबद्धता के सशक्त प्रतीक हैं। श्रीराम मंदिर निर्माण आंदोलन में भी उनकी भूमिका एक मजबूत स्तंभ के रूप में रही, जो हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत हैं। अपने दूरदर्शी नेतृत्व से भारत के विकास में उप प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, सूचना एवं प्रसारण मंत्री के रूप में उनके द्वारा दिया गया अभूतपूर्व योगदान अविस्मरणीय है। केंद्र सरकार का यह निर्णय अभिनंदनीय है।

करोड़ों कार्यकर्ताओं के लिए गौरव का विषय : निशंक

मेरा सौभाग्य रहा है कि समय-समय पर मुझे आडवाणीजी का मार्गदर्शन और आशीर्वाद मिलता रहा। उन्हें भारत रत्न से सम्मानित करने की घोषणा मेरे लिए व्यक्तिगत खुशी की बात है। देश के करोड़ों कार्यकर्ताओं के लिए यह गौरव का विषय है। उन्होंने निस्वार्थ भाव से देश व समाज की सेवा की और देश में राष्ट्रवादी राजनीति को नई दिशा दी। यह सम्मान उनके आजीवन संघर्ष, पिछड़ों, गरीबों, दलितों, किसानों के अधिकार के लिए समपर्ण को समर्पित है। यह निर्णय अभिनंदनीय, सुखद और आनंददायी है।

 

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