उत्तराखंड की नदियों में रिवर ड्रेजिंग के तहत होने वाले खनन कार्यों पर अब ड्रोन कैमरे की नजर रहेगी। इस पूरे कार्य की वीडियोग्राफी करानी होगी। अवैध खनन रोकने और पारदर्शी प्रक्रिया अपनाने के लिए उत्तराखंड रिवर ड्रेजिंग नीति में इस संशोधन प्रस्ताव को प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में मंजूरी दे दी गई। मुख्यमंत्री अपने विशेषाधिकार के तहत पहले ही इसकी अनुमति दे चुके थे।
संशोधन के मुताबिक, ड्रेजिंग कार्यों के लिए मशीनों का प्रयोग हो सकेगा। प्रत्येक एक महीने में अनुज्ञा समाप्ति पर स्वीकृत अनुमति क्षेत्र का ड्रोन फोटग्राफ की एक प्रति जिलाधिकारी कार्यालय, भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय व जिला कार्यालय में प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा। ड्रोन तस्वीरों में किसी भी तरह की अनियमितता पाए जाने पर दंडात्मक कार्रवाई होगी।
इसके अलावा रिवर ड्रेजिंग नीति के जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति मलबा, आरबीएम, सिल्ट निकालने के लिए छह माह की अनुमति देने का प्रावधान था। लेकिन अब ऐसे लंबित मामले, जिनमें अनुज्ञा प्राप्त करने वह व्यक्ति जिसने सारी रायल्टी जमा कर दी है, उसे तीन माह की तक की अनुमति प्रदान की जा सकती है। ऐसे मामलों पर विचार किया जा सकेगा, जिनमें उपखनिज की निकासी का कार्य अपरिहार्य कारणों की वजह से समय पर शुरू नहीं किया जा सका हो।
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