यमुना का जलस्तर बढ़ने के साथ ही लोगों की धड़कनें बढ़ने लगी हैं। किसान और नदी किनारे रहने वाले लोग परेशान हैं। किसी भी हालात से निपटने के लिए प्रशासन अलर्ट है। बाढ़ चाैकियां बनाई गईं हैं।
पहाड़ों पर हो रही बारिश से यमुना लबालब है। शनिवार सुबह वॉटर वर्क्स पर यमुना खतरे के निशान से ढाई फीट नीचे थी। पिछले 24 घंटे में वॉटर वर्क्स पर यमुना का जलस्तर 491.80 से बढ़कर 492.50 फीट हो गया। हालांकि, रात में जलस्तर में कुछ कमी आई है।
बारिश से यमुना पर बने बैराजों पर पानी का दवाब बढ़ रहा है। ऐसे में बैराजों के जलाशयों से नदी में पानी छोड़ा जा रहा है। सिंचाई बाढ़ नियंत्रण कक्ष की रिपोर्ट के अनुसार शनिवार को ओखला बैराज से 38,350 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। शुक्रवार को डिस्चार्ज 57,657 क्यूसेक था। मथुरा में पोइया घाट पर यमुना खतरे के निशान को पार कर गई है। यहां खतरे का निशान 165 मीटर है।
शनिवार सुबह जलस्तर 165.26 मीटर दर्ज किया गया। गोकुल बैराज से शनिवार सुबह 59,740 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। शुक्रवार को यह डिस्चार्ज 46,433 क्यूसेक था। वॉटर वर्क्स पर यमुना का न्यूनतम बाढ़ का स्तर 495 फीट है। जबकि अधिकतम बाढ़ का स्तर 499 फीट है।
यमुना में बढ़ते जलस्तर को लेकर प्रशासन ने अलर्ट जारी किया है। बाढ़ चौकियों पर निगरानी बढ़ा दी गई है। बाढ़ नियंत्रण प्रभारी एवं एडीएम वित्त एवं राजस्व शुभांगी शुक्ला का कहना है कि आगरा में यमुना से बाढ़ के हालात नहीं है। जलस्तर पर नजर रखी जा रही है। उधर, यमुना में बढ़ते जलस्तर से तटवर्ती इलाकों में अफरा-तफरी शुरू हो गई है। निचले इलाकों में पानी घुस रहा है। बल्केश्वर के अनुराग नगर में खेत डूब गए। फतेहाबाद और बाह क्षेत्र में यमुना में उफान से खेतों में पानी भर गया है।
हथनीकुंड और गोकुल बैराज से पानी आने पर अपने उफान में बाह के 35 गांवों के तराई के खेतों में यमुना नदी ने बाजरे और तिल की फसलें डूब गई हैं। शुक्रवार को उफान के बाद यमुना नदी का जलस्तर स्थिर हो गया था। कुछ सेमी की गिरावट भी दर्ज हुई थी। जिससे नदी किनारे के गांवो के लोगों ने राहत की सांस ली थी। पर, शनिवार को नदी का जलस्तर फिर से बढ़ने लगा है।
बटेश्वर के घाट पर महिला स्नानागार डूब गया है। घाट पर बढ़े हुए जलस्तर को लेकर तीर्थ स्थल ट्रस्ट और प्रशासन ने सीढि़यों से उतर कर यमुना स्नान न करने की चेतावनी जारी की है। इधर, यमुना नदी का जलस्तर बढ़ने से तराई के गांव रामपुर चंद्रसेनी, बलाई, सुंसार, बिठौली, विक्रमपुर घाट, चरीथा, गढ़ी बरौली, बाग गुड़ियाना के ग्रामीणों की धड़कनें बढ़ा दी हैं। सबसे पहले इन्हीं गांवों के नदी से जुड़ने वाले रास्तों पर पानी भरता है। ग्रामीणों की निगाहें नदी के जलस्तर पर टिक गई हैं।
उफान के पानी में रामपुर चंद्रसेनी, बलाई, बिठौली, बटेश्वर, भोर, स्याइच, कोट का पुरा, बड़ापुरा, सुंसार, विक्रमपुर कछार, कमतरी, चतुर्भुजपुरा, नौगवां, चरीथा, गढ़वार, बाग गुड़ियाना के तराई के खेतों में पानी भरा हुआ है। अरविंद, बलराम, रघुवीर सिंह आदि किसानों ने बताया कि डूबी फसलों के सड़ने का खतरा पैदा हो गया है। बाह के एसडीएम हेमंत कुमार ने बताया कि एतिहातन बचाव और राहत के लिए 5 बाढ़ चौकियां बनाई गई हैं। नदी के जलस्तर पर नजर रखी जा रही है। आबादी क्षेत्र प्रभावित नहीं हुआ है।