दतिया के जिला अस्पताल में लापरवाही का बड़ा मामला सामने आया है। यहां गलत इंजेक्शन लगाने के बाद 1 मरीज की मौत हो गई जबकि 25 से ज्यादा मरीजों की तबीयत और बिगड़ गई। ये भी बताया जा रहा है कि अस्पताल में नर्स ने एक ही सीरिंज से कई मरीजों को इंजेक्शन लगा दिए। हालांकि मामला उजागर होने के बाद सिविल सर्जन ने पूरे मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं।
जानकारी के मुताबिक दतिया के जिला अस्पताल में अफरातफरी का माहौल है। दरअसल यहां गलत इंजेक्शन लगाने से कई मरीजों की हालत बिगड़ गई है। जबकि इमरत सिंह नामक एक व्यक्ति की सोमवार शाम मौत हो गई। परिजनों ने डॉक्टर पर गलत इंजेक्शन लगाने का आरोप लगाते हुए पुलिस में भी शिकायत दर्ज कराई। आपको बता दें कि बुधेड़ा निवासी इमरत सिंह राजपूत (50) को मलेरिया होने पर सोमवार सुबह जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। शाम करीब 6.30 बजे डॉक्टर ने इमरत को इंजेक्शन लगाया। इसके 15 मिनट बाद उसकी हालत बिगड़ी और कुछ ही पल में उसकी मौत हो गई। इस परिजनों ने डॉक्टर पर गलत इंजेक्शन लगाने का आरोप लगाते हुए हंगामा शुरू कर दिया। विवाद बढ़ते देख अस्पताल प्रबंधन ने पुलिस को बुलाया। यहां परिजनों ने पुलिस से शिकायत की। फिलहाल प्रकरण को जांच में लिया गया है।
मामला यहीं नहीं रुका। अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही उस समय फिर उजागर हुई जब एक के बाद एक करीब 25 मरीजों की तबीयत बिगड़ी। बुखार और एक्सीडेंट के मरीजों को भी ये इंजेक्शन दिए गए। वॉर्ड प्रभारी डॉ. कमला वर्मा के निर्देश पर मेल नर्स डी. गौतम ने मरीजों को डेकडेन इंजेक्शन लगाए थे।
इंजेक्शन लगाने के कुछ पल बाद ही इन मरीजों को अचानक कंपकंपी के साथ घबराहट महसूस होने लगी। इस पर अस्पताल प्रबंधन भी सक्रिय हुआ और तुंरत दूसरे इंजेक्शन दिए गए। जिससे मरीजों को राहत हुई। रिपोर्ट के मुताबिक यहां नर्स गलत इंजेक्शन भी लगा रहे थे और इंजेक्शन लगाने के दौरान सीरिंज भी नहीं बदल रहे थे। बताया जा रहा है कि नर्स इंजेक्शन लगाने के पहले सीरिंज को डिस्टिल्ड वॉटर की बजाए साधारण पानी की उपयोग किया जा रहा था। मतलब सीरिंज को सही तरीके से स्टरलाइज्ड नहीं किया जा रहा था।
एक ही कंपनी के इंजेक्शन
इधर अस्पताल प्रबंधन के मुताबिक यहां कुछ मरीजों को एक इंजेक्शन लगाया गया। ये इंजेक्शन एक ही कम्पनी के है और उसी में कोई खराबी है। लिहाजा जिन मरीजों को ये इंजेक्शन लगाए गए उनकी हालत बिगड़ी है। इसलिए इन इंजेक्शनों का उपयोग बंद कर दिया गया है और उन्हें जांच के लिए सिविल सर्जन को सौंप दिया है।
मामला सामने के आने के बाद सिविल सर्जन डॉ. पीके शर्मा ने पूरी घटना की जांच के लिए मेडिकल बोर्ड का गठन किया है। जिसकी रिपोर्ट के बाद स्थिति स्पष्ट होगी।
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