एयर चीफ ने दिया चीन का हवाला, बताया- भारत को राफेल की कितनी जरूरत

राफेल डील को लेकर कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष मोदी सरकार को घेरने में जुटा हुआ है। लेकिन इस बीच वायुसेना प्रमुख के बयान से यह तो साफ हो गया है कि विपक्ष भले ही राफेल डील को लेकर हो-हल्ला कर रहा हो, लेकिन वायुसेना राफेल का बेसब्री से इंतजार कर रहा है। वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ ने राफेल फाइटर जेट खरीदने के मोदी सरकार के फैसले का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार हमें राफेल लड़ाकू विमान मुहैया करवा रही है, इससे हम मुश्किलों का सामना कर सकेंगे।

‘हमे राफेल की जरूरत है’

बुधवार को राजधानी दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा, ‘आज दुनिया में बहुत कम ऐसे देश हैं जो हमारी तरह की दिक्कतों का सामना कर रहे हैं। हमारे दोनों तरफ परमाणु शक्ति वाले देश हैं।’ वायुसेना प्रमुख ने कहा कि फ्रेंच राफेल लड़ाकू जेट और रूसी एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम खरीदने का सरकारी निर्णय वायु सेना की मुकाबला क्षमताओं में अंतर को भरने में मदद करेगा। उन्होंने कहा, ‘राफेल जैसे हाई-टेक जेट की हमें जरूरत है, क्योंकि अकेले तेजस जैसे मध्यम तकनीक जेट काफी नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘हमारे पड़ोसी निष्क्रिय (खाली) नहीं बैठे हैं। चीन अपने वायु सेना को काफी हद तक आधुनिकीकृत कर रहा है। हमारे प्रतिद्वंद्वियों की रणनीति रातभर में भी बदल सकती है। हमें अपने प्रतिद्वंद्वियों के बल स्तर से मेल खाना जरूरी है। सरकार ने आईएएफ की क्षमता बढ़ाने के लिए राफेल जेट और एस-400 मिसाइलों की खरीद की है। प्रमुख ने कहा कि आज हमारे पास कुल 31 दस्ते हैं, लेकिन 42 दस्तों की जरूरत होती है। अगर 42 दस्तें भी होते हैं तो भी दोनों तरफ की जंग लड़ना आसान नहीं होगा।

बता दें कि राफेल डील को लेकर कांग्रेस और तमाम विपक्षी दल केंद्र सरकार का घेराव करने में लगे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण पर देश से झूठ बोलने और डील में भ्रष्टाचार करने का आरोप भी लगाया है।

भारत को चीन और पाकिस्‍तान से अपनी सुरक्षा के लिए वायुसेना की करीब 42 स्‍क्‍वाड्रन की दरकार है, जबकि मौजूदा समय में केवल 31 स्‍क्‍वाड्रन ही काम कर रही हैं। इसके मुताबिक हाल फिलहाल में ही भारत करीब 11 स्‍क्‍वाड्रन की कमी से जूझ रहा है। आपकी जानकारी के लिए यहां पर ये भी बता दें कि इनमें से हर स्‍क्‍वाड्रन में करीब 16 से 18 लड़ाकू विमानों की दरकार होगी। वहीं यदि पाकिस्‍तान की बात करें तो उसके पास 23 स्‍क्‍वाड्रन हैं। इसके अलावा उसके पास में आठ प्रमुख एयरबेस हैं। वहीं यदि भारत की चीन से तुलना की जाए तो उसके पास 2100 फाइटर जेट और बम्‍बर विमान हैं। वहीं चीन के पास 14 एयरबेस ऐसे जिसको वह भारत के खिलाफ इस्‍तेमाल कर सकता है।

भारत में मिग की रिटायरमेंट प्रक्रिया शुरू 
भारतीय वायु सेना के पास मौजूद मिग-21 और मिग-27 को धीरे-धीरे रिटायर किया जा रहा है। वर्ष 2019 तक इसकी दो और स्‍क्‍वाड्रन को रिटायर कर दिया जाएगा। बचे हुए मिग-21 की स्‍क्‍वाड्रन को 2024 तक रिटायर कर दिया जाएगा। आपको यहां पर बता दें कि मिग-27 को लगातार होते हादसों की वजह से ही जलता ताबूत की संज्ञा दी जा चुकी है। 2001 के बाद से अब तक 21 मिग 27 हादसे का शिकार हो चुके हैं। इनमें से कुछ में पायलट को भी अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है।

दुनिया के कई देश कर चुके हैं रिटायर 
अपने निकनेम बालालेका (Balalaika) के नाम से मशहूर मिग 21 1956 में दुनिया के सामने आया था। हालांकि एक समय ऐसा था जब इस विमान की तूती पूरी दुनिया में बोलती थी, लेकिन अब दुनिया के कई देश इसको अपने यहां से रिटायर कर चुके हैं। रूस से निर्मित इस विमान को फिलहाल भारत में हिंदुस्‍तान एयरोनॉटिक्‍स लिमिटेड में बनाया जाता है। रूसी कंपनी ने मिग वर्जन के करीब 11 हजार विमान बनाए थे जिसमें से 600 से अधिक भारत ने खरीदे थे।

तेजस भी नहीं है तैयार 
भारतीय वायु सेना के साथ एक दिक्‍कत ये भी आ रही है कि स्‍वदेशी फाइटर जेट तेजस अभी तक उसके लिहाज से तैयार नहीं हुआ है। अभी तक इसका ट्रायल ही चल रहा है और विशेषज्ञों की मानें तो यह ट्रायल अभी कुछ लंबा चलना है। यही वजह इसको जानकार भी संशय से ही देखते हैं। आपको यहां पर यह भी बता दें कि इस विमान पर सरकार 70 हजार करोड़ रुपये का खर्च कर रही है। तेजस विमान की पहली खेप के (40 विमानों के रूप में) 2022 तक भारतीय वायुसेना में शामिल होने की संभावना है। इसके बाद में इसका और हाईटेक वर्जन भारतीय सेना में शामिल किया जाएगा।

सुखोई की आपूर्ति भी अभी है अधूरी 
जहां तक भारतीय सेना की रीढ़ की हड्डी माने जाने वाले सुखोई 30 की भी आपूर्ति अभी पूरी नहीं हो पाई है। 2019 में इसके 36 और विमानों की आपूर्ति होनी है। गौरतलब है कि सरकार ने करीब 56 हजार करोड़ की कीमत से 272 सुखोई 30 विमानों का सौदा रूस से किया था। इसकी आपूर्ति धीरे-धीरे की जा रही है। इसके अलावा 36 राफेल विमानों का सौदा भारत सरकार कर चुकी है जिसकी आपूर्ति 2019 से लेकर 2022 तक होनी है। यह सौदा करीब 60 हजार करोड़ रुपये का है।

फ्यूचर प्रोजेक्‍ट
भारतीय वायु सेना की मजबूती के लिए यूं तो प्‍लान तैयार किया गया है। इसके तहत 114 फाइटर जेट मेक इन इंडिया प्रोजेक्‍ट के तहत भारत में तैयार किए जाने हैं, जिस पर करीब डेढ़ लाख करोड़ रुपये का खर्च आने की संभावना है। इसके अलावा राफेल डील में भी जहां 36 हमें फ्रांस से मिलेंगे वहीं 90 विमान भारत में ही बनाए जाएंगे। इसके लिए भारत की निजी कंपनियों समेत फाइटर जेट बनाने वाली विदेशी कंपनियों की भी मदद ली जाएगी और इस गठजोड़ से यह विमान बनाए जाएंगे। इसके अलावा 5वीं पीढ़ी के विमान के लिए एडवांस्‍ड मीडियम कोंबेट एयरक्राफ्ट का प्रोडक्‍शन करीब 2035 में शुरू होगा।

English News

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com