इलेक्ट्रिक व्हीकल बनाने वाली ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी (Ola Electric Mobility Share Price) के शेयरों में जबरदस्त तेजी आने का अनुमान है। ओला इलेक्ट्रिक के शेयर आईपीओ के बाद फ्लैट लिस्ट हुए थे, लेकिन उसके बाद उन्होंने 100 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न दिया। हालांकि, उसके बाद ओला इलेक्ट्रिक के शेयरों में काफी करेक्शन भी हुआ।
अब भाविश अग्रवाल के मालिकाना हक वाली ओला इलेक्ट्रिक के शेयरों में फिर से तेजी आ रही है। इसमें मंगलवार को शुरुआती कारोबार में 5 फीसदी से अधिक की तेजी आई। दरअसल, दो विदेशी ब्रोकरेज फर्मों ने ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को ‘Buy’ रेटिंग के साथ कवर करना शुरू किया है। मंगलवार दोपहर 12 बजे तक ओला इलेक्ट्रिक के शेयर 5.81 फीसदी के उछाल के साथ 113.85 रुपये पर कारोबार कर रहे थे।
बोफा सिक्योरिटीज ने दी ‘Buy’ रेटिंग
बोफा सिक्योरिटीज (BofA Securities) का मानना है कि ओला इलेक्ट्रिक से निवेशकों को शानदार रिटर्न मिल सकता है। BofA सिक्योरिटीज ने ओला इलेक्ट्रिक पर 145 रुपये का टारगेट प्राइस दिया है। इसके मुताबिक, ओला इलेक्ट्रिक में सोमवार के बंद भाव से करीब 35 फीसदी आ सकती है।
BofA सिक्योरिटीज के मुताबिक, भारत के टू-व्हीलर सेगमेंट में अभी इलेक्ट्रिक गाड़ियों व्हीकल का योगदान अभी 6.5 फीसदी है। इलेक्ट्रिक स्कूटरों का दाम अब पेट्रोल स्कूटरों से भी कम हो गई है। यह EV मार्केट के लिए अहम मोड़ साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि ओला इलेक्ट्रिक ने अपनी पकड़ मजबूत की है। उसने प्रोडक्ट पोर्टफोलियो, फंडिंग एक्सेस और ब्रांड डिस्ट्रीब्यूशन जैसे मोर्चे को काफी कुशलता से संभाला है।
गोल्डमैन सैक्स ने दिया 160 का टारगेट प्राइस
वहीं, प्रतिष्ठित ग्लोबल ब्रोकरेज गोल्डमैन सैक्स (Goldman Sachs) ने भी ओला इलेक्ट्रिक को खरीदने की सलाह दी है। उसने टारगेट प्राइस 160 रुपये दिया है। इसके हिसाब से इनवेस्टर्स को 50 फीसदी तक का तगड़ा रिटर्न मिल सकता है। गोल्डमैन सैक्स के हिसाब से ओला इलेक्ट्रिक को इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर मार्केट में लंबी अवधि में अच्छी बढ़त मिल सकती है।
ब्रोकरेज का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2024 से 2030 के बीच कंपनी का रेवेन्यू 40 फीसदी CAGR की दर से बढ़ सकती है। इससे कंपनी 2030 तक सब्सिडी के बिना भी फ्री कैश फ्लो के स्तर पर ब्रेक-ईवन तक पहुंच सकती है। इसका सकारात्मक असर उसके शेयरों पर भी देखने को मिलेगा। हालांकि, Ola Electric के सामने कॉम्पिटीशन, इन-हाउस सेल मैन्युफैक्चरिंग के फ्यूचर और डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर नेटवर्क जैसी कई संभावित चुनौतियां भी हैं।