अभी तक आप पाकिस्तान को ही कश्मीर में घुसपैठ और उसके हालात के लिए जिम्मेदार मानते रहे होंगे. लेकिन इंडिया टुडे और आजतक की यह एक्सक्लूसिव रिपोर्ट आपका नजरिया बदल देगी. आप ये जानकर हैरान रह जाएंगे कि कश्मीर को आज पाकिस्तान से ज्यादा चीन से खतरा है. चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर यानी CPEC के जो दस्तावेज इंडिया टुडे को हाथ लगे हैं उसे देखकर आपको यकीन हो जाएगा कि आज कश्मीर के मामले में पाकिस्तान चीन के मोहरे से ज्यादा कुछ नहीं.#Jio का बम्पर धमाका: अब 3 साल के लिए फ्री होगा JIO 4G, जिंदगीभर ‘फ्री कॉलिंग’
दरअसल महबूबा मुफ्ती के इस बयान को तब कुछ लोगों ने जम्मू-कश्मीर की कानून व्यवस्था पर उनकी कमजोर होती पकड़ को छिपाने की ढाल की तरह लिया था. लेकिन महबूबा सच बोल रही थीं. चीन बहुत शातिराना तरीके से पाकिस्तान के रास्ते कश्मीर पर कब्जा जमाने की फिराक में है. हमारा कमजर्फ पड़ोसी इसके लिए चीन की गुलामी करने को तैयार है. इसका फायदा उठाकर चीन पाक अधिकृत कश्मीर में अंधाधुंध निवेश कर रहा है. चीन की वन बेल्ट वन रोड नीति का भारत पहले भी विरोध कर चुका है. यह सड़क पाक अधिकृत कश्मीर से गुजरती है और इसका मकसद कश्मीर में अपनी पैठ बढ़ाने का है, लेकिन चीन रुकने को तैयार नहीं.
भारत से बढ़ती खुन्नस को हम अरुणाचल और भूटान तक सीमित समझते रहे. लेकिन आजतक के हाथ चीनी सरकार के कुछ ऐसे दस्तावेज लगे हैं जिन्हें देखने के बाद चिंता की लकीरें टेढ़ी हो जाती हैं, जिन्हें देखने के बाद भारत की सरकार भी परेशान हो जाएगी. जिन्हें देखने के बाद चीन से किसी भाईचारे और दोस्ती की बची-खुची उम्मीदें भी टूट जाएंगी. पाकिस्तान के साथ मिलकर वो एक ऐसा खेल खेल रहा है जिसके बाद पाकिस्तान चीन की कठपुतली बनकर रह जाएगा जिसे बीजिंग के इशारे पर नाचना होगा और ये सबकुछ कश्मीर पर कब्जे के लिए हो रहा है.
चीन ने बाकायदा 20 साल का एक ब्लूप्रिंट तैयार किया है. इन बीस सालों में चीन पाकिस्तान के कृषि पर कब्जा कर लेगा. ऊर्जा संयंत्रों को अपने हाथ में ले लेगा. कपड़ा उद्योग को अपने हाथ में ले लेगा. राष्ट्रीय राजमार्गों को अपने हाथ में ले लेगा और तो और स्टॉक एक्सचेंज को भी नियंत्रित करने लगेगा.
एनडीए सांसद राजीव चंद्रशेखर का कहना है, ‘चीन को मालूम है कि POK डिस्प्यूट है. चीन अगर वहां मदद करता है तो उसको ही वहां नुकसान होगा, क्योंकि भारत हमेशा ही क्लेम करता है कि POK हमारा है. चीन जान चुका है भारत अब अपने हित से समझौता नहीं करेगा.’
मतलब चीन ने कश्मीर में घुसपैठ के लिए पाकिस्तान की आर्थिक चाबी अपने हाथ में लेने की पूरी तैयारी कर ली है, और इसके लिए वो वहां हर साल अरबों डॉलर का निवेश कर रहा है. चीन की हुकूमतें इस खेल को बहुत शातिराना अंदाज में अंजाम दे रही हैं. जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी मसूद अजहर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने के भारत के अभियान पर संयुक्त राष्ट्र में वीटो करके चीन ने अपने खूंखार इरादों का पर्दा उतार दिया है.
इस मुद्दे पर जेडीयू नेता शरद यादव ने कहा, “यह बात किसी से छिपी नहीं है कि चीन पाकिस्तान में पूरी तरह से पैसा लगा रहा है और उसे मजबूत बनाने में लगा है. हमारी विदेश नीति की विफलता है कि आज हमारे साथ चीन पाकिस्तान नेपाल से लेकर किसी भी पड़ोसी देश से संबंध बहुत अच्छे नहीं हैं.”
आपको बता दें कि भारत को घेरने के लिए यह ब्लूप्रिंट बाकायदा चीन के राष्ट्रीय विकास एवं सुधार आयोग ने तैयार किया है. और तो और पाकिस्तान के योजना आयोग ने इस ब्लू प्रिंट को मंजूरी दी है. बीजिंग की रेनमिन यूनिवर्सिटी ने इस ब्लू प्रिंट का आकलन किया है.
सब जानते हैं कि नौ ग्यारह के ट्विन टावर हमले के बाद अमेरिका ने आतंकवाद के मसले को लेकर पाकिस्तान को कड़े तेवर दिखाए हैं. अमेरिका से पाकिस्तान की इस दूरी को चीन ने भुनाया और उसकी कंगाली का फायदा उठाकर उसकी सीमा में घुसता चला गया. इस घुसपैठ का नतीजा ये हुआ कि 2007 में पाकिस्तान के साथ चीन का जो कारोबार 4 अरब डॉलर का था वो 2016 में 14 अरब डॉलर का हो गया. मतलब चीन-पाक कारोबार दस साल में तीगुने से भी ज्यादा हो गया. पाकिस्तान में कुल एफडीआई में से 40 फीसदी हिस्सा आज अकेले चीन का हो चुका है.
पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रमों को मिल रही चीनी मदद से पूरी दुनिया वाकिफ है. लेकिन अब उसे इतने से तसल्ली नहीं है. दुनिया के मंचों पर भारत की बढ़ती हुई साख और वैश्विक शक्ति के तौर पर उभरते कद ने चीन को इतना बेचैन कर दिया है कि वह कोई भी तिकड़म करके पाकिस्तान को अपना उपनिवेश बनाने पर आमादा है. और पाकिस्तान भारत से अपनी नफरत की सनक में अपनी बर्बादी का स्वागत कर रहा है.