जिले के चर्चित कमला नेहरू ट्रस्ट मामले में एक नया मोड़ आ गया है। जिला प्रशासन ने ट्रस्ट को जमीन देने में सरकारी अभिलेखों में छेड़छाड़ करने वाले ट्रस्ट के पदाधिकारी, तत्कालीन अफसर, कर्मी समेत 12 लोगों के खिलाफ दर्ज कराई है। मामले की तहरीर एडीएम वित्त एवं राजस्व ने शहर कोतवाली में दी है। इस जमीन को गांधी परिवार से जोड़कर देखा जाता है।
सिविल लाइंस स्थित करीब पांच बीघा भूमि को कमला नेहरू ट्रस्ट के नाम किया गया था। उस पर एक महाविद्यालय प्रस्तावित था। तब से यह जमीन पड़ी थी। इस पर करीब एक सैकड़ों से अधिक लोगों ने रोजगार के लिए दुकानें रखी थी। 16 दिसंबर 2020 को जिला प्रशासन ने हाईकोर्ट के आदेश पर कब्जा हटवाया था। इसी मामले दीवानी न्यायालय में भी मुकदमा चल रहा था। वहीं अब एक नया मोड़ आ गया है। एडीएम वित्त एवं राजस्व प्रेम प्रकाश उपाध्याय ने ट्रस्ट की जमीन फ्रीहोल्ड कराने में पूर्व कांग्रेस सांसद शीला कौल के बेटे विक्रम कौल, ट्रस्ट के सचिव सुनील देव, तत्कालीन एडीएम वित्त एवं राजस्व मदनपाल पाल आर्य, सबरजिस्ट्रार घनश्याम, प्रशासनिक अधिकारी विन्धवासिनी प्रसाद, नजूल लिपिक रामकृष्ण श्रीवास्तव, गवाह सुनील तिवारी के अलावा सरकारी अभिलेखों में छेड़छाड़ के मामले में तत्कालीन तहसीलदार कृष्ण पाल सिंह, प्रभारी कानूनगो प्रदीप श्रीवास्तव, लेखपाल प्रवीण कुमार मिश्रा, नजूल लिपिक छेदीलाल जौहरी समेत अन्य पदाधिकारियों पर एफआइआर दर्ज की गई है।
दस्तावेजों में गड़बड़ी मिलने पर दर्ज हुई एफआइआर
एडीएम वित्त एवं राजस्व प्रेम प्रकाश उपाध्याय ने बताया कि सिटी मजिस्ट्रेट ने अभिलेखों की जांच की थी। दस्तावेजों में कई जगह सफेदा लगा था। इसके अलावा नजूल भूमि के बैनामे में तत्कालीन डीएम की अनुमति नहीं थी। सिटी मजिस्ट्रेट की जांच के आधार पर हमने कोतवाली में तहरीर देकर मुकदमा दर्ज कराया है। विवेचना होने पर अन्य तत्कालीन बड़े अफसर भी जांच के घेरे में आएंगे।