गरमपानी खैरना बाजार के ठीक पीछे बहने वाली उत्तरवाहिनी शिप्रा नदी टंचिग ग्राउंड में तब्दील हो चुकी है। नदी क्षेत्र फैली गंदगी बड़ी बीमारी की ओर इशारा कर रही है। नदी के प्रदूषित होने से नदी में पाई जाने वाली मछलियों के अस्तित्व भी संकट के बादल मंडराने लगे है। इतन ही नहीं कई जगहों पर सिंचाई व पेयजल के रूप में नदी का पानी प्रचुर मात्रा में प्रयोग किया जाता है। इससे लोगों के शरीर तक प्रदूषित पानी के पहुंचने का खतरा बना हुआ है। लोगों में पीलिया जैसी जलजनित बीमारियों के होने की आशंका बनी हुई है।
उत्तरवाहिनी शिप्रा नदी गंदगी से कराह रही है। आलम यह है कि जगह-जगह नदी क्षेत्र में गंदगी का ढेर लगा हुआ है। बजार क्षेत्र में तमाम लोगों ने मकानो में किराएदार रखे हैं पर गंदगी निस्तारण की ठोस व्यवस्था नहीं की है। ऐसे में किराए में रहने वाले किराएदारो ने शिप्रा नदी को ही टंचिग ग्राउंड बना दिया है। नदी को ही गंदगी निस्तारण का अड्डा बना दिया है। नदी क्षेत्र में धड़ल्ले से गंदगी डाली जा रही है। बहते पानी में गंदगी डाले जाने से संक्रामक बीमारी फैलने का खतरा बना हुआ है। आगे जाकर शिप्रा नदी कोसी नदी में मिल जाती है। अधिकांश लोग इसी नदी का पानी का इस्तेमाल पीने व सिंचाई में भी करते हैं। बहते पानी में गंदगी डाले जाने से मछलियों के जीवन पर भी संकट खड़ा होने की संभावना बनी हुई है।
गंदगी ने नदी क्षेत्र की शक्लो सूरत ही बिगाड़ कर रख दी है। एक और राज्य सरकार नदीयों को बचाने को बडे़ बडे़ अभियान चला रही है वही दूसरी ओर शिप्रा नदी की हालत सरकार के अभियान के एकदम उलट है। व्यवस्थाओं को चाक-चौबंद करने वाले सरकारी विभागों के अधिकारियों को भी शिप्रा नदी के हालात दिखाई नहीं दे रहे।
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