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आरबीआई के इस रुख से नाराज आयोग ने सीधे गवर्नर उर्जित पटेल को चिट्ठी लिखी है और कहा है कि जिस तरह से इस मुद्दे को सरसरी ढंग निपटाया गया वह गंभीर चिंता का विषय है। ऐसा लगता है आरबीआई ने इस स्थिति की गंभीरता को नहीं समझा है।
आयोग ने याद दिलाया है कि संविधान ने उसे देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने और सभी उम्मीदवारों को समान अवसर उपलब्ध कराने का अधिकार दिया है। सही तरीके से चुनाव कराने में मदद के लिए जरूरी है कि आयोग से सभी निर्देशों का ठीक ढंग से पालन हो। उसने आरबीआई से कैश निकासी सीमा बढ़ाने के प्रस्ताव पर दोबारा विचार करने को कहा है।
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बुधवार को आयोग ने आरबीआई को कहा था कि उसके सामने नोटबंदी की वजह से उम्मीदवारों के सामने आ रही दिक्कतों को रखा गया है। आयोग ने कहा है कि विधानसभा क्षेत्रों के चुनाव अधिकारी चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों को सर्टिफिकेट जारी करेंगे, जिसमें इस बात का जिक्र होगा कि उन्हें चुनाव खर्चों के लिए ही खास कर तौर पर खोले गए अकाउंट से सप्ताह में दो लाख रुपये निकालने की इजाजत दी जाए।
यह सुविधा 11 मार्च यानी मतगणना के दिन तक जारी रहेगी। आयोग ने केंद्रीय बैंक को याद दिलाया है कि नियमों के मुताबिक उम्मीदवार उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब में चुनाव लड़ने के दौरान 28 लाख रुपये खर्च कर सकते हैं। गोवा और मणिपुर में यह सीमा 20-20 लाख रुपये है।