तीनों ऊर्जा निगमों (यूपीसीएल, पिटकुल और यूजेवीएनल) के लगभग आठ हजार कर्मचारियों को एक जनवरी 2016 से सातवें वेतन आयोग की संस्तुति की अनुरूप वेतनमान और भत्ता मिलेगा। कैबिनेट की मंजूरी के बाद सोमवार को इस संबंध में शासनादेश (जीओ) जारी कर दिया गया। इसका व्यय भार ऊर्जा निगम ही उठाएंगे, शासन किसी भी प्रकार की वित्तीय सहायता नहीं करेगा।#सावधान: आधार कार्ड को लेकर कहीं आपके सामने भी तो नहीं खड़ी हो रही ये मुसीबत?
ऊर्जा निगमों के अधिकारियों और कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग की संस्तुति के मुताबिक वेतन और भत्ता दिए जाने के संबंध में ऊर्जा विभाग के प्रस्ताव को छह सितंबर को हुई कैबिनेट की बैठक में मंजूरी प्रदान की गई थी। इससे पहले तीनों निगमों ने बोर्ड मीटिंग में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की दी थी। कैबिनेट की मंजूरी के बाद सोमवार को ऊर्जा सचिव राधिका झा की ओर से इस संबंध में जीओ जारी कर दिया गया है।
तीनों निगमों के कर्मचारियों को एक जनवरी 2017 से बढ़े हुए वेतन और भत्ते का भुगतान नगद किया जाएगा। एक जनवरी 2016 से लेकर 31 दिसंबर 2016 तक की अवधि के अवशेष वेतन भत्तों एवं एरियर के भुगतान के लिए अलग से आदेश जारी किया जाएगा। इसके साथ ही ऊर्जा निगमों के कर्मचारियों का वेतनमान शासन में तैनात कर्मचारियों के वेतनमान के निकटतम न्यूनतम वेतन मैट्रिक्स में शामिल किया जाएगा।
कर्मचारियों के वेतन के साथ ही अगले महीने सरकार को दीवाली बोनस की भी घोषणा करनी है। राजकीय कर्मी सरकार पर सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत एरियर व संशोधित भत्तों के लिए भी दबाव बना रहे हैं। सरकार दीवाली से एरियर की पहली किस्त देने का मन बना चुकी है और संशोधित भत्तों का भी एलान करने की सोच रही है। इसके अलावा सरकार पर मानसून की विदाई के बाद अक्तूबर से निर्माण कार्यों में भी तेजी लाने का दबाव है। इस दबाव से पार पाने के लिए उसे ठेकेदार लॉबी के बकाया भुगतान की भी अदायगी करनी है।
इन सभी वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उसके पास कर्ज लेने के सिवाय चारा नहीं है। इस वित्तीय वर्ष में प्रदेश सरकार करीब 1700 करोड़ रुपये का कर्ज उठा चुकी है। 500 करोड़ रुपये कर्ज को जोड़कर यह राशि 2200 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगी। सरकार दिसंबर माह तक 3800 करोड़ रुपये का कर्ज उठा सकती है। केंद्र सरकार ने इसके लिए उसे एकमुश्त मंजूरी दे रखी है। दिसंबर के बाद उसे ऋण उठाने के लिए पुन: एकमुश्त अनुमति लेनी होगी। पिछले वित्तीय वर्ष तक उसे कर्ज लेने के लिए केंद्र सरकार से अनुमति लेनी होती थी। इस प्रक्रिया में विलंब होता था। लेकिन इस वित्तीय वर्ष से केंद्र ने एकमुश्त राशि का अनुमोदन कर रखा है।
बेहतर है वित्तीय प्रबंधन
वित्तीय जानकारों की मानें तो करीब 40 हजार करोड़ रुपये के कर्ज तले दबी प्रदेश सरकार का इस वित्तीय वर्ष में वित्तीय प्रबंधन कुछ बेहतर है। पिछले नौ महीने में सरकार ने बाजार से महज 1700 करोड़ रुपये का कर्ज उठाया है। 500 करोड़ रुपये का कर्ज उठाने के साथ ये राशि 2200 करोड़ रुपये हो जाएगी। पिछले वित्तीय वर्षों की तुलना में कर्ज की ये राशि कम बताई जा रही है।
सूत्रों की मानें तो बुधवार को प्रस्तावित कैबिनेट की बैठक में एरियर की पहली किस्त को लेकर निर्णय हो सकता है। इसके अलावा वेतन विसंगति को लेकर भी कैबिनेट पूर्व में लिए गए निर्णय में कतिपय संशोधित कर सकती है। उत्तराखंड सचिवालय संघ वेतन विसंगति समिति की समीक्षा अधिकारियों का वेतनमान 4800 से घटाकर 4600 करने की सिफारिश आंदोलित हो गया था। सरकार ने संघ को आश्वस्त किया था कि प्रस्ताव को पुनर्विचार के लिए कैबिनेट में लाया जाएगा।
गौरतलब है कि गत 22 सितंबर को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित हाईपावर कमेटी ने सार्वजनिक उप्रकमों में सातवें वेतन की संस्तुतियों लागू करने के प्रस्ताव पर विचार किया था। राज्य निगम, निकाय, जलसंस्थान, विकास प्राधिकरण जिला पंचायत कर्मचारी महासंघ के महासचिव ने रवि पचौरी ने बताया कि बैठक में उत्तराखंड परिवहन निगम, कृषि उत्पादन विपणन बोर्ड, ब्रिडकुल, अल्पसंख्यक कल्याण, वक्फ विकास निगम, बहुउद्देश्यीय वित्त एवं विकास निगम, अंतरिक्ष उपयोग केंद्र, कुमाऊं मंडल विकास निगम व गढ़वाल मंडल विकास निगम में सातवां वेतन देने पर मंथन किया।
उन्होंने बताया कि प्रतिनिधिमंडल में शामिल महासंघ के अध्यक्ष संतोष रावत, श्रीकृष्ण रतूड़ी, रमेश नेगी, अजय कांत शर्मा ने मुख्य सचिव से अनुरोध किया कि बैठक का कार्यवृत्त शीघ्र जारी किया जाए, ताकि 27 सितंबर को होने वाली कैबिनेट की बैठक में सातवें वेतनमान को लेकर निर्णय लिया जा सके। पचौरी के मुताबिक, मुख्य सचिव ने आश्वस्त किया कि कार्यवृत्त यथाशीघ्र जारी होगा और इसे मंत्रिमंडल की बैठक में रखा जाएगा।
सोमवार को कर्मचारी महासंघ के पदाधिकारियों ने मुख्य सचिव से मुलाकात की। साथ ही जल संस्थान, वन निगम और पेयजल निगम कर्मियों को सातवें वेतनमान का लाभ देने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने कहा कि परिवहन निगम, कृषि उत्पादन विपणन बोर्ड, ब्रिडकुल, अल्पसंख्यक कल्याण तथा वक्फ विकास निगम, बहुद्देश्यीय वित्त एवं विकास निगम, अंतरिक्ष उपयोग केंद्र, गढ़वाल मंडल विकास निगम और कुमाऊं मंडल विकास निगम को सातवें वेतनमान का लाभ देने के मामले में 22 सितंबर को हाईपावर कमेटी में सहमति बन चुकी है।
उन्होंने बैठक का कार्यवृत्त जल्द जारी कर प्रस्ताव कैबिनेट में भेजने की मांग की। महासंघ के महासचिव रवि पचौरी ने बताया कि मुख्य सचिव ने उनकी सभी मांगों पर सकारात्मक कार्रवाई का आश्वासन दिया। ज्ञापन देने वालों में संगठन अध्यक्ष संतोष रावत, कृष्ण रतूड़ी, रमेश नेगी, अजयकांत शर्मा आदि शामिल रहे।