भारत में मौजूद मनोरंजन के साधनों में से एक मल्टीप्लेक्स की बात करें तो ऐसा लगता है वहाँ काम करने वाले लोग हमें लूटने के फ़िराक में ही बैठे हुए है। आम बाजरो में काफी कम में मिलने वाली वस्तुएँ मल्टीप्लेक्स में जाने के बाद 5 से 6 गुनी महंगी हो जाती है। कभी कभी तो हालात ऐसे होते है कि इससे भी ज्यादा दाम हमें चुकाने पड़ते है। मनमानी पैसे वसूलने के इस धंधे के पीछे मल्टीप्लेक्स मालिको और वहाँ काम करने वाली वेंडर्स का ही हाथ होता है। इसी संज्ञान में कोर्ट में दायर किये गए एक याचिका को लेकर कोर्ट ने सुनाया है ऐसा फैसला…
क्या है फैसला?
हाल में ही दायर की गयी इस याचिका के मुताबिक याचिका कर्ता ने इस लूट के मामले में सरकार को आड़े हाथों लेकर इस बात की माँग कोर्ट के सामने की थी की आम लोगो को अपने साथ मल्टीप्लेक्स के अंदर खाने की चीज़ों को ले जाने की अनुमति दी जानी चाहिए। इसके पीछे उनकी दलीलें थी की बाजारो में बेहद सस्ते में उपलब्ध खाद सामग्री मल्टीप्लेक्स के अंदर काफी महंगी हो जाती है। मजबूरन उन्हें कई गुने पैसे खर्च कर ऐसी चीज़े मल्टीप्लेक्स के अंदर खरीदनी पड़ती है जिससे की उनके पॉकेट के ऊपर दोहरी मार पड़ती है।
मल्टीप्लेक्स में ले जा सकेंगे अपना खाना
याचिका दायर वाले शख्स के मुताबिक एक तो पहले से ही उनकी टिकट महँगी होती है और ऊपर से जब वह फिल्मे देखने जाते है तो वहाँ आमतौर पर मिलने वाले पॉपकॉर्न और कोल्ड ड्रिंक की बोत्तलें भी उचित दाम से कई गुना महंगी। याचिका कर्ता की माँग थी की सरकार को ऐसे निर्देश जारी जरूर करने चाहिए जिससे की आम आदमियों के यूजर इसका बोझ महसूस न हो। उनके मुताबिक हर एक व्यक्ति को आने पसंद की खाने की चीज़े बाहर से मल्टीप्लेक्स में ले जाने की अनुमति देनी चाहिए जो की अभी नही होता।
याचिका कर्ता जैनेन्द्र वख्शी ने अपने वकील आदित्य प्रताप के माध्यम से बॉम्बे हाई कोर्ट में यह याचिका आम लोगो के हिट में दायर की थी। इसी याचिका के ऊपर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति आर एम बोर्डे एवं राजेश कतेकर की पीठ ने राज्य सरकार के गृह विभाग को इस याचिका के ऊपर सुझाव देने के लिए गौर करने को कहा है। उन्होंने यह मांग की है कि जल्द से जल्द इस मुद्दे के ऊपर कोई न कोई हल आम जनता के लिए जरूर निकलना चाहिये।
यह पहली बार नही है जब कोई इस मुद्दे के ऊपर सरकार के रवैये को लेकर सवाल खड़ा किया हों इससे पहले भी विपक्ष की सरकार ने इस मुद्दे को सदन में उठाया था। जिसके जवाब में सरकार ने यह कहकर इस मामले से अपना पल्ला झाड़ लिया की मल्टीप्लेक्स में मिलने वाली ये वस्तुएं सामान्य जन जीवन के लिए आवश्यक वस्तु नही है बल्कि ये सारी वस्तुएं लक्ज़री आइटम्स के तहत आती है और इसके मूल्य में वृद्धि होने तो तय है। इसके ऊपर उनका कोई कंट्रोल नही है ऐसा कहकर सरकार उन सभी मौल्टिप्लेक्स मालिको के हितों को हमेशा ध्यान में रखती हुई आयी है।
TOS News Latest Hindi Breaking News and Features