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‘स्वास्थ्य एवं सौंदर्य’ विषय पर आयोजित चर्चा में उन्होंने बताया कि एरोमा थेरेपी प्राकृतिक ढंग से चेहरे की सुंदरता बढ़ाती है, साथ ही इसकी सुगंध से यह उच्च रक्तचाप, हाइपरटेंशन और ग्लैंड संबंधित बीमारियां भी दूर होती हैं।
जैसे की चेहरे पर दाग धब्बे हटाने के लिए व जले के निशान को मिटाने के लिए लैवेंडर ऑयल का इस्तेमाल किया जाता है। एक्ने व पिंपल के लिए पचोली ऑयल, टेंशन अवसाद के लिए नरोली ऑरेंज ब्लॉसम ऑयल का इस्तेमाल करते हैं।
जैसमीन का तेल सेल्फ कॉन्फिडेंस बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि एरोमा ऑयल को कभी भी डाइरेक्ट इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इसमें आलमंड, कोकोनट व जोजोबा तेल में मिलाकर लगाना चाहिए।
गर्भवती महिलाओं को लैवेंडर, नरोली व कैमोमील के अलावा कोई और एरोमा नहीं उपयोग करना चाहिए। होम्योपैथिक दवा खा रहे मरीज भी इसका उपयोग न करें। नहाने के पानी में भी कुछ बूंदे डालकर इसे यूज कर सकते हैं।
मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद एसजीपीजीआई के निदेशक प्रो. राकेश कपूर ने कहा कि स्वास्थ्य और सुंदरता पूरी तरह एक दूसरे पर निर्भर हैं। अगर स्वास्थ्य ठीक नहीं होगा तो व्यक्ति कुछ भी कर लें लेकिन सुंदर नहीं दिख सकता।
वहीं केजीएमयू के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. एकेसिंह ने सुंदरता में होठों के महत्व की चर्चा की। उन्होंने लिप रिडक्शन व लिप फिलर सर्जरी की जानकारी दी।
डॉ. रमा श्रीवास्तव ने कॉस्मेटिक्स के इतिहास, प्लास्टिक सर्जन डॉ. वैभव खन्ना व डॉ. आदर्श कुमार ने बालों के प्रत्यारोपण की जानकारी दी। डायबिटीज विशेषज्ञ डॉ. मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि थायराइड, मधुमेह व अन्य बीमारियों से भी बाल गिरने लगते हैं। ऐसे में तुरंत डॉक्टर की सलाह लें। इस मौके पर समंथा कोचर ने ब्राइडल मेकओवर के टिप्स दिए।
‘नवजातों में कैंसर का एक प्रमुख कारण गर्भावस्था में के दौरान कॉस्मेटिक्स का इस्तेमाल करना है। हेयर कलर, डाई हो या कॉस्मेटिक्स इनमें अधिकतर में कैंसर कारक तत्व होते हैं। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को डाई और कॉस्मेटिक्स का उपयोग बिल्कुल नहीं करना चाहिए’। – डॉ. रुखसाना खान, गायनकोलॉजिस्ट
‘बाल गिरने का सबसे बड़ा कारण गंदगी व केमिकल युक्त तेलों और शैंपू का इस्तेमाल है। अप्राकृतिक तत्वों को शरीर स्वीकार नहीं करता। बाल धोने के लिए शैंपू व साबुन के बजाय आंवला जैसे प्राकृतिक तत्वों का इस्तेमाल करना चाहिए। बालों में तेल की कोई भूमिका नहीं होती। तेल लगाने से बालों में गंदगी जमा हो जाती है, जिससे बाल गिरने लगते हैं। बालों में प्रोटीन व विटामिन की कमी को पूरा करने के लिए नींबू, दही व आंवले जैसे प्राकृतिक तत्वों के रस को स्कैल्प पर लगाकर मालिश करनी चाहिए। हेयर कलर करने के लिए कभी भी डाई को स्कैल्प पर नहीं लगने देना चाहिए। पपीता, फलों के रस व पल्प को निकाल कर बालों में मालिश करने से बाल गिरने की समस्या कम होगी। साथ उनमें चमक व स्मूथनेस भी आएगी।’ – डॉ. आनंद अखिला, हर्बल एक्सपर्ट व साइंटिस्ट
‘लोग अक्सर एक्टर व एक्ट्रेस की स्टाइल देखकर हेयर कट करा लेते हैं। उसके बाद अक्सर ही लोगों को वह हेयर स्टाइल खुद पर अच्छी नहीं लगती। दरअसल, आप पर कौन सी हेयर कट सूट करेगी यह बात आपके चेहरे की बनावट पर निर्भर करती है। जैसे की ओवल शेप के चेहरे के बनावट के लोगोें पर पफ व उठी हुई हेयर स्टाइल सूट नहीं करती। इसी तरह अगर माथा बड़ा है तो सामने के बालों में शार्ट कटिंग कराना चाहिए। राउंड फेस वाले लोगों को बालों को आगे से फिलिक्स कटिंग करानी चाहिए। इससे फेस की हाइट थोड़ी बढ़ जाने से गोल चेहरे का लुक खूबसूरत लगता है। आजकल मेल और फीमेल दोनों में शॉर्ट हेयर कट का चलन है।’ – हरीश भाटिया, इंटरनेशनल हेयर एक्सपर्ट
‘कोई भी रसायनिक तत्व इस्तेमाल करने से एक समय बाद स्किन की चमक के साथ-साथ एक्ने, पिंपल व चेहरे की स्किन डैमेज होने लगती है। साथ ही त्वचा की अलग-अलग बीमारियां भी होने लगती हैं। आजकल विज्ञापनों में चेहरा गोरा करने के लिए तरह-तरह की क्रीम का जोर शोर से प्रचार होता है। इन क्रीम्स में अधिक मात्रा में केमिकल्स व ब्लीच की मात्रा होती है, जो स्किन को झुलसा देती है। चेहरे पर नियमित रूप से ऑलिव आयल, एलमंड ऑयल व कोकोनट ऑयल 15 से 20 मिनट तक मसाज करना चाहिए। इससे चेहरे की थकान कम होने के साथ-साथ कसाव आता है और त्वचा को पोषण भी मिलता है। एंटी एजिंग जैसी समस्याएं दूर होती हैं। जिनकी त्वचा तैलीय है, उन्हें चेहरे पर हार्ड फेसपैक लगाना चाहिए। अगर कॉस्मेटिक्स का उपयोग करते हैं तो पैराबेन रसायन मुक्त पदार्थ ही इस्तेमाल करें। पैराबेन युक्त पदार्थों के उपयोग से दाने, खुजली, जलन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।’ – डॉ. फैजान अहमद, त्वचा रोग विशेषज्ञ
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