खुफिया विभाग के उच्च पदस्थ सूत्रों ने अमर उजाला को बताया कि भारतीय एजेंसियों के लिए आईएस और पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद में कोई फर्क नहीं है। केंद्र की पॉलिसी साफ है कि घाटी में जो भी आतंकी सक्रिय होगा, मारा जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक, कथित आजादी और अलगाववाद का समर्थन करने वाले भारत विरोधी धड़े का पाकिस्तान से तेजी से मोहभंग हो रहा है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की लगातार चल रही आतंकवाद विरोधी मुहिम इसकी बड़ी वजह है।
सूत्रों के मुताबिक भारत विरोधी तबका पाकिस्तान को छोड़ दूसरी जगह अपना नेतृत्व तलाश रहा है। यही वजह है कि वह आईएस का समर्थन कर अपनी नई पहचान बनाने की कोशिश में है।
हालांकि सुरक्षा एजेंसियों को शक है कि आईएस का दांव सही बैठेगा। लेकिन इससे साफ है कि घाटी में पाकिस्तान के प्रभाव पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। गौरतलब है कि सोमवार को तहरीक-उल-मुजाहिद्दीन का मारा गया आतंकी मुगीस अहमद मीर की शव यात्रा के दौरान आईएस समर्थक नारे के साथ हुर्रियत विरोधी नारे भी लगाए गए थे।
सूत्रों के मुताबिक आईएस की विचारधारा पाक के समर्थन वाले अहल-ए-हदीश, बहावी और सलाफी विचारधारा से भिन्न है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी आईएस पाकिस्तान का विरोधी है। इस सूरत में घाटी में लश्कर-ए-ताइबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिद्दीन जैसे आतंकी संगठन और जमात-ए-इस्लामी (कश्मीर) जैसे कट्टरवादी संगठनों को खुली चुनौती मिल सकती है।