चीन सीमा से लगे प्रतिबंधित क्षेत्र में अब बाहरी लोगों के प्रवेश पर एक तरह से रोक लग चुकी है। प्रशासन द्वारा इस क्षेेत्र में प्रवेश के लिए पास जारी नहीं किए जा रहे हैं। केवल स्थानीय ग्रामीण ही इनर लाइन से आगे प्रवेश कर सकते हैं।
चीन सीमा पर व्यास घाटी में धारचूला से 73 किमी की दूरी पर स्थित 3335 मीटर की ऊंचाई पर स्थित छियालेख इनर लाइन घोषित है। इस क्षेत्र से आगे कोई भी व्यक्ति प्रशासन द्वारा पास मिलने के बाद ही प्रवेश कर सकता है। प्रतिबंधित क्षेत्र में प्रशासन द्वारा दी गई समयावधि तक ही रह सकता है।
समयावधि पूर्व होने से पहले क्षेत्र में गए व्यक्ति को छियालेख पहुंंचना आवश्यक है। इनर लाइन पास धारचूला के एसडीएम जारी करते हैं। प्रशासन द्वारा इस समय इनर लाइन पास जारी नहीं किए जा रहे हैं। छियालेख से आगे प्रतिबंधित क्षेत्र में स्थित गब्र्यांग, गुंजी, नलपलच्यू, नाबी, कुटी, रौंगकोंग के स्थानीय ग्रामीण ही प्रवेश कर सकते हैं। इसके अलावा यहां पर तैनात सुरक्षा बल और सरकारी महकमे के कर्मी ही जा सकते हैं।
छियालेख मेंं आइटीबीपी चेक पोस्ट में पास धारी हों या स्थानीय ग्रामीण सभी के नाम दर्ज होते हैं और वापसी में भी सभी के नामो की पुष्टि की जाती है। छियालेख से आगे गब्र्यांग, गुंजी, कालापानी में भी आइटीबीपी चैक पोस्टों पर सभी की जांच होती है पूरा विवरण लिया जाता है। प्रतिबंधित होने से प्रशासन द्वारा जारी पास आवश्यक है। चीन सीमा पर तनाव को देखते हुए विगत दिनों से तहसील प्रशासन द्वारा परमिट जारी नहीं किए जा रहे हैं।
विधायक महेश नेगी तक को लौटना पड़ा वापस
प्रशासन द्वारा पास जारी नहीं किए जाने से बीते दिनों क्षेत्र की स्थिति को जानने के लिए सीमा तक जा रहे द्वाराहाट के भाजपा विधायक महेश नेगी को भी वापस लौटना पड़ा था। धारचूला से छियालेख पहुंचने के बाद उन्हें प्रतिबंधित क्षेत्र में प्रवेश नहीं करने दिया गया था। एके शुक्ला, एसडीएम, धारचूला ने बताया कि इस समय इनर लाइन पास जारी नहीं किए जा रहे हैं। यह ऊपर से आदेश है। जिसके चलते किसी को भी पास जारी नहीं किए जा रहे हैं। केवल प्रतिबंधित क्षेत्र में स्थित गांव के ही ग्रामीण इनर लाइन से आगे जा सकते हैं।
क्या है इनर लाइन
चीन सीमा पर सीमा से कई किमी पीछे तक के क्षेत्र को प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित किया गया है। इस क्षेत्र में तैनात सुरक्षा बल आइटीबीपी प्रतिबंधित क्षेत्र से आगे केवल उसे ही प्रवेश करने देती है जिसे प्रशासन अनुमति देता है। जिस स्थान से आगे प्रतिबंधित क्षेत्र होता है उसे इनर लाइन कहा जाता है। धारचूला की चीन सीमा से लगी व्यास घाटी में छियालेख, दारमा घाटी में ढाकर और मुनस्यारी की जोहार घाटी में मिलम इनर लाइन है।
नोटिफाइड लाइन वर्ष 1960 तक
जब पिथौरागढ जिला अल्मोड़ा का हिस्सा था तो घाट नोटिफाइड लाइन थी। बाद में यह लाइन जौलजीबी तथा मुनस्यारी की तरफ नाचनी बनाई गई। बाद में नाचनी की नोटिफाइड लाइन मिलम चली गई और धारचूला में छियालेख बना दी गई । धारचूला की जनता पूर्व की भांति नोटिफाइड लाइन जौलजीवी को ही बनाए जाने की मांग कर रही है।