जन्म और मृत्य पंजीकरण के लिए आधार नंबर देना अनिवार्य नहीं है। भारत के रजिस्ट्रार जनरल (RGI) ने यह जानकारी आरटीआई के एक जवाब में स्पष्ट किया है। आरजीआई ने आरटीआई के जवाब में कहा कि यदि आधार को स्वैच्छिक रूप से दिया जाता है, तो इसे किसी भी दस्तावेज़ पर प्रिंटेड नहीं किया जाना चाहिए या जन्म और मृत्यु के किसी भी डेटाबेस में पूर्ण रूप में संग्रहीत नहीं किया जाना चाहिए।
सर्कुलर में कहा गया है, ‘किसी भी हाल में आधार नंबर न तो डाटाबेस में स्टोर किया जाना चाहिए, न ही किसी दस्तावेज पर प्रिंट किया जायेगा। यदि जरूरत पड़ी तो आधार नंबर के पहले चार अंक ही प्रिंट किये जा सकते हैं।’
विशाखपट्नम स्थित अधिवक्ता एम.वी.एस. अनिल कुमार राजगिरी ने एक आरटीआई दायर कर पूछा था कि आधार पंजीकरण मृत्यु के लिए अनिवार्य है या नहीं। लाइवलॉ द्वारा ट्विटर पर पोस्ट किए गए पिछले सप्ताह के अपने जवाब में कहा गया कि आरजीआई ने अप्रैल 2019 के सर्कुलर में स्पष्ट किया कि ‘जन्म और मृत्यु के पंजीकरण के लिए आधार संख्या की आवश्यकता अनिवार्य नहीं है।’
सर्कुलर में गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि देश में जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण रजिस्ट्रेशन ऑफ बर्थ्स एंड डेथ्स (आरबीडी) एक्ट, 1969 के प्रावधानों के तहत किया जाता है। आरबीडी एक्ट में कोई ऐसा प्रावधान नहीं है, जो किसी व्यक्ति के जन्म और मृत्यु के पंजीकरण के उद्देश्य से व्यक्ति की पहचान स्थापित करने के लिए आधार के इस्तेमाल की अनुमति देता है।
2017 में आरजीआई ने फैसला किया था कि मृत्यु पंजीकरण के उद्देश्य के लिए मृतक की पहचान स्थापित करने के उद्देश्य से आधार संख्या की आवश्यकता होगी। हालांकि, 2018 के सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले ने स्थिति बदल दी।
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