आगरा का किला
उत्तर प्रदेश के आगरा में बना यह किला यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल है। ये किला राजपूत राजा पृथ्वीराज चौहान के पास था। ये किला अपनी वास्तुशिल्प, नक्काशी और रंग-रोगन के लिए प्रसिद्ध है। इस किले का निर्माण मुगल बादशाह अकबर ने 1573 में शुरु करवाया था।
बड़ा इमामबाड़ा
बड़ा इमामबाड़ा लखनऊ की एक एतिहासिक धरोहर है। इसे भूलभुलैया भी कहते हैं। इसे आसिफ उद्दौला ने बनवाया था। लखनऊ के इस प्रसिद्ध इमामबाड़े का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है। इस इमामबाड़े का निर्माण आसफउद्दौला ने 1784 में अकाल राहत परियोजना के अन्तर्गत करवाया था।
रामनगर का किला
रामनगर का किला वाराणसी के रामनगर में स्थित है। यह गंगा नदी के पूर्वी तट पर तुलसी घाट के सामने स्थित है। इसका निर्माण 1750 में काशी नरेश बलवन्त सिंह ने कराया था। यह मक्खन के रंग वाले चुनार के बालूपत्थर ने बना है। वर्तमान समय में यह किला अच्छी स्थिति में नहीं है। आरम्भ से ही यह दुर्ग काशी नरेश का निवास रहा है।
बुलंद दरवाजा
फतेहपुर सीकरी में ऐतिहासिक इमारत बुलंद दरवाजा है। जिसकी ऊंचाई भूमि से 280 फुट है। 52 सीढ़ियों के पश्चात दर्शक दरवाजे के अंदर पहुंचता है। दरवाजे में पुराने जमाने के विशाल किवाड़ ज्यों के त्यों लगे हुए हैं। शेख सलीम की मान्यता के लिए अनेक यात्रियों द्वारा किवाड़ों पर लगवाई हुई घोड़े की नालें दिखाई देती हैं। बुलंद दरवाजे का निर्माण 1602 ई. में अकबर ने अपनी गुजरात-विजय के रूप में करवाया था।
कैसरबाग पैलेस
कैसरबाग पैलेस को 1847 में अवध के नवाब वाजिद अली शाह के द्वारा बनवाया गया था। यह महल नवाब का ड्रीम प्रोजेक्ट था और वह इसे दुनिया का आठवां आश्चर्य बनाना चाहते थे। ब्रिटिश सरकार ने इस महल को उस दौरान नुकसान पहुंचाया जब उन्हे लगने लगा कि यह बागी, नवाबों के बीच अपनी पकड़ बनाता जा रहा है।
जामा मस्जिद
आगरा की जामा मस्जिद एक विशाल मस्जिद है। जो शाहजहाँ की पुत्री शाहजा़दी जहाँआरा बेगम़ को समर्पित है। इसका निर्माण 1648 में हुआ था और यह अपने मीनार रहित ढाँचे तथा विषेश प्रकार के गुम्बद के लिये जानी जाती है। पूरी जामा मस्जिद खूबसूरत नक्काशी और रंगीन टाइलों से सजी हुई है। इसके अलावा यहां बादशाही दरवाजा भी है। इसकी खूबसूरती भी देखते ही बनती है।
आनन्द भवन
स्वराज भवन इलाहाबाद में स्थित एक ऐतिहासिक भवन एवं संग्रहालय है। इसका मूल नाम आनन्द भवन था। इस ऐतिहासिक भवन का निर्माण मोतीलाल नेहरू ने करवाया था। 1930 में उन्होंने इसे राष्ट्र को समर्पित कर दिया था। इसके बाद यहां कांग्रेस कमेटी का मुख्यालय बनाया गया। भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी का जन्म यहीं पर हुआ था। आज इसे संग्रहालय का रूप दे दिया गया है।
सारनाथ
सारनाथ काशी अथवा वाराणसी के १० किलोमीटर पूर्वोत्तर में स्थित प्रमुख बौद्ध तीर्थस्थल है। ज्ञान प्राप्ति के पश्चात भगवान बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश यहीं दिया था जिसे धर्म चक्र प्रवर्तन का नाम दिया जाता है और जो बौद्ध मत के प्रचार-प्रसार का आरंभ था। यह स्थान बौद्ध धर्म के चार प्रमुख तीर्थों में से एक है।
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