सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) को यूं ही क्रिकेट का भगवान नहीं कहा जाता, इस महान खिलाड़ी ने अपने जबरदस्त करियर के दौरान रनों का हर रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया. साल 1989 में अपने डेब्यू से लेकर साल 2013 में अपनी रिटायरमेंट तक सचिन ने दुनियाभर में अपने बल्ले से खूब कमाल दिखाया और रनों का एक पहाड़ खड़ा कर दिया. लेकिन एक कप्तान के तौर पर सचिन पूरी तरह से फ्लॉप साबित हुए.
यहां आपको याद दिला दें कि सचिन ने 25 टेस्ट और 73 वनडे मैचों में टीम इंडिया की कप्तानी की पर 4 टेस्ट मैच और 23 वनडे मैच ही जीत सके. एक कप्तान के तौर पर सचिन की इस विफलता पर अब पूर्व भारतीय कोच मदन लाल (Madan Lal) ने अपनी राय जाहिर की है. मदन लाल के मुताबिक सचिन टीम के प्रदर्शन से ज्यादा अपने प्रदर्शन पर ध्यान दिया करते थे और इसी वजह से उनकी कप्तानी फ्लॉप साबित हुई.
एक खेल वेबसाइट से बात करते हुए मदन लाल ने कहा, ‘मुझे विश्वास नहीं है कि सचिन एक अच्छे कप्तान नहीं थे. समस्या बहुत सरल थी. वह वास्तव में अपने स्वयं के प्रदर्शन पर ज्यादा ध्यान दिया करते थे इसलिए कई बार उनके लिए टीम की देखभाल करना मुश्किल हो जाता था.’
मदन लाल ने आगे कहा, ‘एक कप्तान के रूप में, आपको अपने स्वयं के प्रदर्शन पर ध्यान देने के साथ-साथ यह भी सुनिश्चित करना होता है कि टीम के बाकी खिलाड़ी अपनी क्षमताओं का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करें. कभी-कभी, कप्तान अपनी टीम के रूप में अच्छा होता है. कप्तान ही निर्देश दे सकता है. जब आप अच्छा प्रदर्शन करते हैं और कप्तान का आप पर विश्वास बढ़ जाता है. वह आपको बिना किसी झिझक के मौका भी देता है. वह आपके साथ चर्चा में शामिल होता है और खेल के बारे में योजना बनाता है.’
ऐसा नहीं हैं कि मदन लाल ने सचिन की कप्तानी की सिर्फ कमियां ही बतायीं, उन्होनें उनकी कप्तानी की कुछ अच्छाईयां भी बतायीं. इस बारे में बात करते हुए मदन लाल ने कहा, ‘सचिन तेंदुलकर में खेल को पढ़ने का अच्छा गुण था वह खिलाड़ियों को बताया करते थे कि वह कहां गलत कर रहे हैं और उन्हें गेंदबाजी कैसे करनी चाहिए. वह इन सब चीजों में शानदार था. लेकिन ऐसा कभी-कभी होता है, कि आप अपने खेल पर इतना ध्यान देते हैं कि आपकी कठिनाइयां कम हो जाती हैं. ऐसा नहीं था कि वह एक अच्छे कप्तान नहीं थे.’