जिम्बाब्वे में संसदीय चुनावों के बाद हुई हिंसा में कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई है. जिम्बाब्वे की राजधानी हरारे में सुरक्षा बलों ने प्रदर्शन कर रहे विपक्षी दलों के समर्थकों पर गोलीबारी की, जिसमें इन लोगों की मौत हो गई.
सरकार ने कहा कि राजधानी में सेना को पुलिस की मदद के लिए तैनात किया गया है. पुलिस ने कहा कि दंगाइयों पर कार्रवाई की गई है. विपक्षी एमडीसी गठबंधन ने इस सशस्त्र दमन की आलोचना की है. उन्होंने इस कार्रवाई की तुलना रॉबर्ट मुगाबे के शासन से की है.
विपक्षी गठबंधन का आरोप है कि सत्ताधारी दल जानू-पीएफ ने चुनावों में धांधली की है. जिम्बाब्वे में सोमवार को ही संसदीय चुनावों के नतीजे सामने आए हैं. इन चुनावों में जानू-पीएफ को बहुमत हासिल हुआ है.
अभी चुनावों के नतीजे की घोषणा नहीं की गई है. यूरोपियन यूनियन ने चुनाव परिणामों की घोषणा में देरी पर चिंता जाहिर की है.
राष्ट्रपति एमर्सन नैनगागवा ने बुधवार की हिंसा के लिए विपक्षी गठबंधन को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा है कि यह चुनावी प्रकिया को बाधित करने की साजिश है. उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है.
बुधवार को जिम्बाब्वे की राजधानी में सेना के टैंकों ने प्रवेश कर लिया. राजधानी में सुबह से ही एमडीसी गठबंधन के समर्थक जगह-जगह पर जुटने लग गए थे, हालांकि जानू-पीएफ की जीत की खबरें आते ही उन्होंने राजधानी में तोड़फोड़ शुरू कर दी. एमडीसी का दावा है कि चुनावों में उनके राष्ट्रपति उम्मीदवार की जीत हुई है.
पुलिस ने इन पर आंसू गैस के गोले छोड़े, वॉटर कैनन से हमला किया और बाद में फायरिंग भी की गई. बीबीसी के मुताबिक अभी तक के नतीजों में जानू-पीएफ को 132 सीटें, एमडीसी गठबंधन को 59 सीटें और अन्य दलों को 2 सीटें मिलती दिखाई दे रही हैं. 17 सीटों के नतीजे घोषित नहीं किए गए हैं. यहां पर करीब 70 फीसदी लोगों ने मतदान किया था.