टाटा समूह के एक ट्रस्ट से आयकर विभाग द्वारा 100 करोड़ रुपये की टैक्स वसूली करने पर इनकम टैक्स अपीलेट ट्राइब्यूनल (ITAT) ने रोक लगा दी है.
अक्टूबर 2019 के अपने आदेश में आयकर विभाग ने एक प्रावधान लागू किया था, जिसके मुताबिक अगर किसी ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन कैंसिल हो गया हो तो उसे अपनी तब तक की बढ़ी हुई आय के आधार पर टैक्स देना होगा.
क्या है मामला
आयकर विभाग ने पिछले साल टाटा एजुकेशन और विकास ट्रस्ट को 100 करोड़ रुपये का टैक्स भरने का नोटिस दिया था. यह टैक्स पिछली छूट वाली आय के आधार पर रजिस्ट्रेशन की वजह से बनता है. आयकर विभाग का कहना था इसमें छूट मान्य नहीं होगा. असल में टाटा के छह ट्रस्ट के रजिस्ट्रेशन को रद्द कर दिया गया था.
टाटा एजुकेशन और डेवलपमेंट ट्रस्ट समूह का एक ऐसा ट्रस्ट है जो कि ग्रुप की होल्डिंग कंपनी टाटा सन्स में मेजॉरिटी हिस्सा रखता है. इनकम टैक्स विभाग ने अक्टूबर 2019 में टाटा समूह के छह ट्रस्टों जमशेतजी टाटा ट्रस्ट, आरडी टाटा ट्रस्ट, टाटा एजुकेशन ट्रस्ट, टाटा सोशल वेलफेयर ट्रस्ट, सार्वजनिक सेवा ट्रस्ट और नवजभाई रतन टाटा ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन कैंसिल कर दिया था.
क्या कहा ट्राइब्यूनल ने
टस्ट्र से टैक्स वसूली पर स्टे लगाते हुए इनकम टैक्स अपीलेट ट्राइब्यूनल ITAT ने कहा कि ट्रस्ट को, ‘एक अंडरेटेकिंग फाइल करनी होगी कि जिसमें कम से कम 99.75 करोड़ के निवेश की बात होगी, जब तक आवेदन का निपटारा नहीं हो जाता, तब तक इसको भुनाया नहीं जा सकता.’
हालांक ट्राइब्यूनल ने नए प्रावधान के कानूनी पहलू पर कोई टिप्पणी नहीं की, क्योंकि यह उसके अधिकार के दायरे में नहीं आता.
गौरतलब है कि टाटा समूह के कई ट्रस्ट मानवीय और सामाजिक कार्यों में आगे हैं. इन सामाजिक कार्यों की शुुरआत 1982 में ही हुई थी जब टाटा समूह के संस्थापक जेएन टाटा ने एंडोमेंट फॉर हायर एजुकेशन की स्थापना की थी.
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