सीबीआई सूत्रों ने बताया कि इस मामले में शुक्रवार को जांच टीम के सामने पेश होने से पहले 27 साल के तेजस्वी को तीन बार नोटिस जारी किया गया था, लेकिन वह इससे पहले एजेंसी के सामने पेश नहीं हुए।
आरोप है कि लालू प्रसाद ने रेल मंत्री रहते हुए आईआरसीटीसी द्वारा संचालित दो होटलों बीएनआर रांची और बीएनआर पुरी की देखरेख का जिम्मा एक निजी फर्म सुजाता होटल को सौंपा और बदले में एक बेनामी कंपनी के जरिए पटना में तीन एकड़ की महंगी जमीन के रूप में रिश्वत ली। सुजाता होटल का स्वामित्व विनय और विजय कोचर के पास है।
प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि लालू प्रसाद ने कोचर को अनुचित फायदा पहुंचाने के लिए अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया और बेनामी डिलाइट मार्केटिंग कंपनी के जरिए ‘ऊंची कीमत की प्रीमियम जमीन’ हासिल की। इस लेनदेन में उन्होंने ‘बेईमानी और धोखे से’ दोनों होटलों के लिए उन्हें ठेका दिया। सुजाता होटल को ठेका दिए जाने के बाद 2010 से 2014 के बीच डिलाइट मार्केटिंग का मालिकाना हक भी सरला गुप्ता के पास से राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के पास चला गया।