गुरुवार को सुबह आठ बजे नई स्पेशल ट्रेन गोरखपुर-यशवंतपुर एक्सप्रेस के टिकटों की बुकिंग जैसे ही शुरू हुई, पलक झपकते सभी कंफर्म टिकट बुक हो गए। गोरखपुर के काउंटर पर पहला टिकट ही वेटिंग आया। दस मिनट में वेटिंग 300 पहुंच गया। यह तो सामान्य टिकट की बात हुई। तत्काल कोटा के भी सारे कंफर्म टिकट दलालों के हाथ चले जा रहे।
इसके बाद शुक्रवार को नई स्पेशल ट्रेनों के तत्काल टिकटों की बुकिंग शुरू हुई लेकिन, काउंटरों से एक भी कंफर्म टिकट नहीं मिला। शनिवार को कुछ श्रेणियों में सिर्फ पहला टिकट कंफर्म निकला। दरअसल, दलालों ने रेलवे के टिकट सिस्टम को ही हैक कर लिया है। जबतक काउंटर पर बैठा बुकिंग क्लर्क सिस्टम में यात्री का नाम और पता तथा पूरा विवरण दर्ज करते हैं, तबतक दलाल अपने सिस्टम से कंफर्म टिकट निकाल ले रहे हैं। रेलवे काउंटर के सामने खड़े सामान्य लोग हाथ मलते रह जाते हैं। जानकारों का कहना है कि यह खेल कोई नया नहीं है, बल्कि बहुत पुराना है। इधर, कोरोना में दलालों की सक्रियता कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है।
फर्जी साफ्टवेयर का चल रहा खेल
ई टिकटों में फर्जी साफ्टवेयर का खेल चल रहा है। गोरखपुर, मुंबई और बेंगलुरु ही नहीं छोटे कस्बों और गांवों में बैठे दलाल लैपटॉप में फर्जी साफ्टवेयर लोड कर कंफर्म टिकट निकालकर मोटी रकम कमा रहे हैं। अब तो वे मोबाइल का भी उपयोग करने लगे हैं। जानकारों का कहना है कि फर्जी साफ्टवेयर रेलवे के सिस्टम से कई गुना तेज चल रहा है। रेलवे काउंटर से जबतक एक कंफर्म टिकट निकलता है, तबतक दलाल 20 से 25 टिकट बुक कर देते हैं। पिछल सप्ताह ही रेलवे सुरक्षा बल की टीम ने विभिन्न स्थलों पर छापेमारी कर एएनएमएस, लालमिर्ची, ब्लैक टीएस, टिकटॉक, आइबॉल, रेल बुल, मैक इन गेट, साइकिल और स्टार आदि अवैध साफ्टवेयर पकड़ा था।
रेलवे सुरक्षा बल की टीम लगातार छापेमारी कर रही है। साथ ही सेंटर फार रेलवे इंफार्मेशन सिस्टम क्रिस से टिकट सिस्टम को और उन्नत करने का सुझाव भी दे रहे हैं। – पंकज कुमार सिंह, सीपीआरओ, एनई रेलवे
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