जम्मू-कश्मीर में किशनगंगा डैम के निर्माण पर विश्व बैंक ने पाक को सलाह दी है कि वह “तटस्थ विशेषज्ञ नियुक्त करने के भारत के सुझाव को स्वीकार करे। पाक इस मामले को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ले जाना चाहता है। बैंक का कहना है कि अगर विवाद को किसी दूसरे फोरम पर ले जाया गया तो यह चलन बन जाएगा।
ध्यान रहे कि 1960 के समझौते के तहत विश्व बैंक को भारत-पाक के बीच होने वाले जल विवादों में बिचौलिये की भूमिका निभाने को मंजूरी दी गई है। करार के तहत तीन पूर्वी नदियों व्यास, रावी व सतलुज के पानी पर भारत का नियंत्रण माना गया है, जबकि चिनाब, झेलम व इंडस का पानी भारत इस्तेमाल तो कर सकता है लेकिन उसका बहाव नहीं मोड़ सकता।
किशनगंगा डैम के निर्माण पर पाक का तर्क है कि इससे नदी का पानी डाइवर्ट हो जाएगा और उसे खासी परेशानी झेलनी पड़ेगी। पाक ने विश्व बैंक को उपग्रह से लिए चित्र भी भेजे थे, जिनमें डैम निर्माण का विवरण था। 22 मई को पाक ने विश्व बैंक को बताया था कि पीएम नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन करने जा रहे हैं। पाक का मानना है कि यह निर्माण 1960 के करार के खिलाफ है। उधर, विश्व बैंक के अध्यक्ष जिम यांग किम ने पिछले सप्ताह पाक को सलाह दी कि वह मामले को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में ले जाने का विचार त्याग दे। भारत का इस मामले में तर्क है कि कोई तटस्थ विशेषज्ञ ही समाधान निकाल सकता है।
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