प्रधानमंत्री ने देश के नाम अपने संबोधन में 8 नवंबर की रात से 500-1000 के पूराने नोट की चलन पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद से देश भर में नोटबंदी का व्यापक असर देखने को मिल आ रहा है।
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42 दिन भी नोटबंदी के कारण लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं नोटबंदी से पहले जहां सभी प्रकार के 100 के नोट स्वीकार किए जा रहे थे , लेकिन अब 100 के पुराने नोटों को भी दुकानदार लेने में आना-कानी करने लगे है।
अब ऐसे 100 के नोटों को चलन से बाहर माना जा रहा है, जिन पर उनका प्रकाशन का वर्ष अंकित नहीं है। बाजार में 100 रुपए के ऐसे नोट चलन में हैं, जिन पर उनका प्रकाशन का वर्ष नोट के उल्टी साइड के ठीक मध्य में प्रकाशित है।
बाजार में ऐसे नोट भी चलन में हैं, जिन पर कोई वर्ष अंकित नहीं है। जैसे कि नोटबंदी के बाद ये नोट आराम से बाजार में चल रहे थे, लेकिन नोटबंदी के बाद न तो बैंक इन नोटों को स्वीकार कर रहा है और न ही मार्केट में इन नोट को लिया जा रहा है। ऐसे में पहले ही कैश की कमी से जूझ रहे लोगों के समक्ष भारी मुश्किलें पैदा हो रही हैं।
एचडीएफसी बैंक का कहना हैं कि बिना प्रकाशन वर्ष के 100 रुपए के नोटों को अस्वीकार करने बारे रिजर्व बैंक की कोई अधिसूचना नहीं है, ऐसे में बैंक में ऐसे नोट स्वीकार किए जा रहे हैं। इस बारे अन्य बैंक को भी स्थिति साफ करनी चाहिए, ताकि आम जनता को कोई परेशानी न हो।
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