पश्चिम बंगाल के पशु संसाधन विकास (एआरडी) विभाग ने इस वित्तीय वर्ष के अंत तक करीब 2,000 दुग्ध मवेशियों को वितरित करने की योजना तैयार की है. पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर बीरभूम जिले को लिया गया है.
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पशु संसाधन विकास विभाग बीरभूम जिले के ग्रामीण क्षेत्र में 2 हजार गाय वितरित करेगा. इसके बाद विभाग इस योजना को आगे भी बढ़ाना चाहता है और अगले साल तक कई फेज में राज्य के दूसरे जिले में भी लागू करेगा.
बंगाल के एआरडी मंत्री स्वपन देबनाथ ने कहा- “यह विचार राज्य में दूध उत्पादन को बढ़ाने के लिए है. इसके साथ ही, हम इस कमी की पूर्ति करने की आशा रखते हैं. हमने इस साल दिसंबर तक पहले चरण में 2,000 दुग्ध मवेशियों को वितरित करने की योजना बनाई है.”
देवनाथ ने इंडिया टुडे को बताया कि इसका प्रोजेक्ट से राजनीति से न जोड़ा जाए और न तो इसका किसी चुनाव से कोई संबंध है. उन्होंने कहा कि तृणमूल सरकार के दौरान पश्चिम बंगाल में दुग्ध उत्पादन 16 फीसदी बढ़ा है. हालांकि, यहां भी थोड़ी खामियां हैं और हम इसे दूर करने का प्रयास कर रहे हैं.
राज्य एआरडी विभाग के अधिकारियों का दावा है कि यह परियोजना मौजूदा केंद्रीय योजना का हिस्सा है. राष्ट्रीय कृषि विकास योजना और इसका लक्ष्य दूध उत्पादन को बढ़ावा देना है.
बता दें कि पश्चिम बंगाल में बीजेपी की बढ़ती सक्रियता को देखते हुए राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का तुष्टीकरण के आरोपों से निकलने के लिए अपनी राजनीतिक रणनीति में परिवर्तन माना जा रहा है.
पंचायत चुनाव से पहले ग्रामीण के हर परिवार को गाय बांटने को लेकर ममता सरकार पर विपक्ष सवाल उठा रहा है. बीजेपी नेता चंद्रकुमार बोस ने कहा कि ये राजनीतिक नौटंकी है. अवैध रूप से गायों के वध को सरकार बचा नहीं पा रही है. उन्होंने कहा कि ममता सरकार इस परियोजना को बीरभूम से शुरू कर रही है, जहां अल्पसख्यक समुदाय की काफी संख्या है. ये आंखों में धूल झोकने का वाला है.
सरकार का दावा है कि राज्य ने पिछले छह वर्षों में दूध उत्पादन में 16 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है. वर्ष 2010-11 में दूध का वार्षिक उत्पादन बढ़कर 51.83 लाख मीट्रिक टन हो गया, जो 2010-11 में 44.72 लाख मीट्रिक टन था, जब ममता बनर्जी ने मुख्यमंत्री के रूप में अपना पहला कार्यकाल ग्रहण किया था.
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