दावोस में वर्लड एकोनॉमिक फोरम में सम्मानित किए जाने के बाद शाहरुख खान के करियर की चमक और बढ़ गई है. उन्हें ऑस्ट्रेलियाई अभिनेत्री केट ब्लैंचेट और इंग्लिश सिंगर एल्टन जॉन के साथ क्रिस्टल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. शाहरुख को ये अवार्ड समाज सेवा के लिए दिया गया.
शाहरुख खान को ये उपाधि उनकी नॉन प्रॉफिटेबल मीर फॉउंडेशन द्वारा मानवीय गरिमा को बनाए रखने के प्रयास के लिए दी गई. बहुत कम लोग जानते हैं कि अपने व्यस्त जीवन के अलावा शाहरुख मीर फाउंडेशन नाम से एक एनजीओ भी चलाते हैं. इसके जरिए वो फीमेल एसिड विक्टिम्स की सहायता करते हैं. उनके इसी काम के लिए सम्मानित किया गया.
शाहरुख ने अवॉर्ड सेरेमनी में जीवन के अपने प्रति बदलते दृष्टिकोण की चर्चा भी की. शाहरुख ने कहा कि हम कितना भी ऊपरी सुंदरता का जिक्र ना करे पर हम इस मनोदशा से घिरे हुए हैं. कुछ साल पहले मैं एक एसिड अटैक पीड़ित महिला से मिला, जिसके बाद मेरे सोचने के नजरिए में काफी परिवर्तन हुआ.
शाहरुख के हिसाब से किसी पर एसिड फेंकना सबसे दर्दनाक घटना होती है. किसी पर जबरन एसिड फेंकना दुनिया में किया गया सबसे भद्दा काम है. उन्होंने बताया, जिस महिला से वो मिले थे उसने ये सितम अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया और जीवन में हिम्मत और हौसले के साथ आगे बढ़ने का निर्णय लिया.
इस क्रम में उन्होंने कहा कि वो इन लोगों की इस बात से काफी प्रभावित हुए. इतनी कठनाइयों के बावजूद बिना हार माने जिस साहस और हौसले के साथ ये अपने जीवन को संवारते हैं वो काबिलेतारीफ है. ये ताज्जुब की बात है कि ऐसी घटनाएं उन्हें कमजोर नहीं करती, उलटा उनको और मजबूत बनाती हैं. हमें उनसे ये सीखने कि जरूरत है कि कैसे बुरे हालात पर खड़े होकर वो इन मुसीबतों को वक्त के साथ सरल करती जाती हैं.
इस फाउंडेशन के लिए काम कर के वो और बेहतर इंसान बनें. मीर फाउंडेशन ने उनकी सोच-समझ और नजरिए को और बेहतर बनाया. उन्हें इस बात की समझ दी कि सब इंसान एक हैं, और सभी को नेचर, टेक्नेलॉजी, इकेनॉमी का इस्तेमाल करने का बराबर हक है. बस कुछ को सौभाग्य से ज्यादा नसीब होता है. उनके हिसाब से भले ही कोई आर्थिक रूप से ज्यादा मजबूत या कमजोर हो पर उसे मानसिक रूप से अपने अंदर समानता की भावना रखनी चाहिए. ये जीवन जीने का सबसे बेहतर तरीका है.
अपनी स्पीच के अंत में उन्होंने अपनी बहन, पत्नी और बेटी का शुक्रिया अदा किया जिनकी वजह से उन्होंने प्रार्थनाशील और विनम्रता की भावना सीखी. शाहरुख ने कहा कि उन्होंने अपने घर की हर एक महिला से बहुत कुछ सीखा है. कई दफा वो उनके आगे सहज और सरल हुए और उनकी एक हां बुलवाने के लिए भीख मांगी और गुजारिशे कीं, ताकि उन लोगों पर किसी तरह का दबाव या प्रेशर का एहसास ना हो और उन्हें अच्छा फील हो.