दिल्ली में रहने वाले मोहित पिछले तीन वर्षों से स्टेज पर कहानी व कविताओं का जादू बिखेर युवाओं को प्रेरित कर रहे हैं। इलाहाबाद की पृष्ठभूमि से आए मोहित मुदिता द्विवेदी पेशे से इंजीनियर हैं, लेकिन पिछले तीन वर्षों से साहित्य सेवा में तत्पर हैं।
वह दिल्ली में पिछले तीन सालों से द मॉडर्न पोएट्स नामक एक संस्था चला रहें हैं। जो नवोदित लेखक व कवियों को एक मंच देने का काम करती है। मोहित इस संस्था के संस्थापक हैं।
टीवी शो में भी चला इनकी कविता का जादू
मोहित के लेखन में अक्सर आपको समाज के उजाले में छिपे उस अंधेरे की बात दिखेगी जिसका जिक्र कहीं नहीं होता है। इनकी किन्नर समुदाय पर लिखी कविता ‘तीसरा हूं, ताली और नाच हूं, न लड़की हूं ,न लड़का हूं, देता दुआ , लेकिन श्राप हूं’… बहुत लोकप्रिय है। स्टार-प्लस के एक शो डांस प्लस सीजन चार में भी इस कविता का प्रयोग किया जा चुका है। डांस प्लस के फाइनल एपिसोड में इस कविता का क्रेडिट देने के लिए मोहित भी आमंत्रित किया जा चुका है।
बचपन में हकलाते थे मोहित लेकिन निरंतर अभ्यास से इस कमी को किया दूर
मोहित ने बचपन से ही लिखना शुरू कर दिया था लेकिन स्टोरी टेलिंग करना पिछले तीन वर्षों में ही शुरू किया। वह अब तक 100 से अधिक कार्यक्रमों में भाग ले चुके हैं। मोहित की एक रचना ‘हां मैं हकलाता हूं’ युवाओं द्वारा बहुत सराही गई जिसमें उन्होंने हकलाने वाले लोगों के दर्द को उजागर किया है व उनको आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। मोहित कहते हैं ‘आप हकलातें हैं आपकी प्रतिभा नहीं…।
मोहित खुद भी बचपन में आंशिक रूप से हकलाते थे लेकिन उन्होंने काफी अभ्यास किया और एक दिन अपनी इस कमी को दूर कर दिखाया। उन्होंने यह कविता अपने आसपास के लोग जो हकलातें हैं उनसे प्रेरणा लेकर लिखी। उन्होंने बताया कि वह ऐसे कई लोगों से मिलते रहतें हैं जो हकलातें है और अपना आत्मविश्वास खो देते हैं उन्हीं लोगों को प्रोत्साहन देने के लिए उन्होंने इस कविता की रचना की। बाद में इस कविता पर एक शॉर्ट फिल्म भी बनाई जो कि एक हकले लड़के की कहानी को बयां करती है। वह कहते हैं कि उनकी कलम हमेशा समाज के प्रति लिखती रहेगी और जनमानस की आवाज को बुलंद करती रहेगी ।
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