दिल्ली के सरकारी स्कूलों के क्लासरूम में दिल्ली सरकार के सीसीटीवी कैमरे लगाने के प्रस्ताव से जुड़ी एक याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कोर्ट को बताया कि सुरक्षा की दृष्टि से तमाम कैमरे सरकारी स्कूलों के क्लासरूम में लगाए जा रहे हैं.
सरकार की तरफ से यह भी बताया गया कि इन सभी सीसीटीवी कैमरों के पासवर्ड सभी अभिभावकों के पास होंगे और वह देख पाएंगे कि क्लास रूम में उनका बच्चा क्या कर रहा है.
बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल कर सवाल उठाया गया था कि सरकार बच्चों की निजता के साथ समझौता कर रही है और दिल्ली के तकरीबन 5 हजार सरकारी स्कूलों में दिल्ली सरकार सीसीटीवी कैमरे लगाने जा रही है. याचिका में कहा गया था कि खासतौर से वह छात्राएं जो छठी कक्षा से 12वीं कक्षा के बीच में है उनके क्लास रूम में इस तरह से सीसीटीवी कैमरे लगाया जाना उनकी निजता को भंग करने के जैसा है.
दिल्ली सरकार का प्रस्ताव है कि 5 हजार सरकारी स्कूलों में करीब 1.4 लाख CCTV कैमरा लगाए जाएं. सरकार की तरफ से पेश वकीलों ने दलील दी है कि इससे कैंपस तो सुरक्षित होगा ही साथ ही जो शिक्षक क्लास रूम में नहीं पढ़ाते उनको चिन्हित करने में भी आसानी होगी. कई देशों में स्कूलों और क्लासरूम में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं और उनके परिणाम अच्छे मिले हैं.
हालांकि याचिकाकर्ता का कहना है कि अगर क्लास रूम में कैमरे लगाए जाते हैं तो इसका मनोवैज्ञानिक नकारात्मक प्रभाव छात्रों पर देखने को मिलेगा क्योंकि उनको हमेशा अंदेशा रहेगा कि वह जो भी बातचीत कर रहे हैं, क्या काम कर रहे हैं उसे कैमरे से कोई और भी देख रहा है.
साथ ही यह भी तर्क दिया गया कि बच्चों की निजता में दखलअंदाजी उतना ही गंभीर है, जितना कि वयस्कों की निजता में दखल. बड़ों की तरह बच्चों की निजता को भी सुरक्षित रखना सरकार की जिम्मेदारी है. याचिकाकर्ता ने अपनी अर्जी में हाईकोर्ट से गुहार लगाई है कि सरकारी स्कूलों के क्लासरूम में सीसीटीवी लगाए जाने के प्रस्ताव को खारिज किया जाए.
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