दुनियाभर में मच्छरों के कारण होने वाली बीमारियां हर साल हजारों लोगों की जान ले लेती हैं। यही कारण है कि प्रशासन ने दवा के छिड़काव से लेकर कई तरह के बचाव के उपायों का प्रबंधन किया है। हालांकि इस संबंध में लोकल सर्किल्स के एक सर्वेक्षण में चौंकाने वाली बात सामने आई है।
देश के 352 जिलों में 38 हजार से ज्यादा लोगों पर किए गए सर्वेक्षण में 70 फीसद ने बताया कि उनके यहां नगर निगमों और पंचायतों ने कभी छिड़काव ही नहीं किया या साल में बमुश्किल एक या दो बार किया। निश्चित तौर पर यह चिंताजनक बात है। सर्वेक्षण में मच्छरों से बचाव के तौर-तरीकों पर भी कई बातें सामने आई हैं। यह स्थिति तब है जब दुनिया मच्छरजनित रोगों से कराह रही है और भारत को इससे बड़ा प्रभावित देश माना जाता रहा है।
खतरा बहुत बड़ा है
- सभी संक्रामक बीमारियों की तुलना में 17 फीसद ज्यादा लोग मच्छर व इस तरह के कुछ अन्य कीटों के काटने से होने वाली बीमारियों का शिकार होते हैं
- इनके कारण दुनियाभर में सालाना सात लाख लोगों की जान चली जाती है
- संक्रामक रोगों की तुलना में मच्छर से 17 गुना अधिक लोग होते हैं शिकार
- एनाफिलीज मच्छर के कारण होने वाले मलेरिया के दुनियाभर में सालाना 21.9 करोड़ मामले आते हैं
- मलेरिया से सालाना चार लाख लोगों की जान चली जाती है। इनमें ज्यादातर पांच साल से कम उम्र के बच्चे होते हैं
- 9.6 करोड़ हर साल सालाना डेंगू के करीब इतने मामले सामने आते हैं और करीब 40 हजार लोगों की मौत हो जाती है
- एडीज मच्छर के कारण होने वाला डेंगू सबसे ज्यादा होने वाली संक्रामक बीमारी है। 129 देशों में 3.9 अरब आबादी इसके खतरे की जद में है
- चिकुनगुनिया, जीका, यलो फीवर, वेस्ट नाइल फीवर और जापानी इंसेफेलाइटिस मच्छरों के कारण होने वाली अन्य गंभीर बीमारियां हैं