रिपोर्ट के मुताबिक वेल्स के लेनोक्स हेड इलाके में स्थित बायन की खाड़ी के तट पर कुछ घंटे पहले ही इस ड्रोन का ट्रायल शुरू हुआ था। तभी एक व्यक्ति ने देखा कि दो लड़के उत्तरी समुद्र तट से 700 मीटर दूर डूब रहे हैं। उसने तुरंत तट पर तैनात गोताखोरों को सूचित किया। पर लहरें इतनी तेज थीं कि लड़कों तक नाव ले जाना संभव नहीं था। इसलिए वहां मौजूद वेस्टपैक लिटिल रिपर ड्रोन की मदद ली गई।
ड्रोन ने तुरंत उड़ान भरी और लड़कों के पास पहुंच गया। इसके बाद ड्रोन ने जीवन रक्षक उपकरण लड़कों के बिल्कुल पास में गिरा दिए। दोनों उपकरण के सहारे तैरकर तट पर आए गए। वहां तैनात गोताखोरों के मुताबिक दोनों लड़के बुरी तरह थक गए थे, लेकिन पूरी तरह सुरक्षित थे। यानी समंदर में ड्रोन का पहला बचाव मिशन पूरी तरह कामयाब रहा।
इस ड्रोन को तट पर तैनात एक कर्मी रिमोट कंट्रोल के जरिये नियंत्रित करता है। बचाव गए लड़कों की उम्र 17 और 15 साल है। ड्रोन के जरिए तट की निगरानी का यह प्रोजेक्ट सर्फ लाइव सेविंग एनएसडब्ल्यू और राज्य सरकार ने मिलकर शुरू की है। इसमें करीब 4.30 लाख डॉलर का निवेश किया गया है।
70 सेकेंड में लड़कों के पास पहुंचा ड्रोन
बैलिना में तैनात ड्रोन को ऑपरेट करने वाले लाइफ गार्ड सुपरवाइजर जे श्रीधन ने बताया, यह मिशन बिल्कुल अवास्तविक लग रहा था। मैं खुश हूं कि दो जिंदगियां बच गईं। उड़ान भरने, लड़कों तक पहुंचने और जीवनरक्षक उपकरण गिराने में ड्रोन ने सिर्फ 70 सेकेंड का वक्त लगा। वहीं सूचना मिलने के और मिशन पूरा होने में सिर्फ दो मिनट लगे। यह तकनीक बदलाव लाने वाली है।
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