शुक्रवार को देश की पहली सौर ऊर्जा युक्त डीजल इलेक्ट्रिक मल्टिपल यूनिट (DEMU) ट्रेन को दिल्ली के सफदरजंग स्टेशन से रवाना किया गया। बोगियों में सौर ऊर्जा के इस्तेमाल से न केवल रेलवे का खर्च घटेगा, बल्कि प्रदूषण भी कम होगा। आइए, इस ट्रेन के बारे में जानते हैं कुछ और अहम बातें…
ट्रेन की कुल आठ बोगियों में 16 सोलर पैनल लगे हैं। हर पैनल 300 वॉट बिजली उत्पादन करेगा। इससे हर साल 21,000 लीटर डीजल की बचत होगी। इससे रेलवे को हर साल 2 लाख रुपया
बचेगा। अगले कुछ दिनों में 50 अन्य कोचों में ऐसे ही सोलर पैनल्स लगाने की योजना है।
बचेगा। अगले कुछ दिनों में 50 अन्य कोचों में ऐसे ही सोलर पैनल्स लगाने की योजना है।
मेक इन इंडिया अभियान के तहत बने इन सोलर पैनल्स की लागत 54 लाख रुपये आई है। दुनिया में पहली बार ऐसा हुआ है कि सोलर पैनलों का इस्तेमाल रेलवे में ग्रिड के रूप में हो रहा है।
यह ट्रेन दिल्ली के सराय रोहिल्ला स्टेशन से हरियाणा के फारूख नगर स्टेशन के बीच आवाजाही करेगी। इसकी अधिकतम स्पीड 110 कि.मी. प्रति घंटे हो सकती है। ट्रेन की शंटिंग शकूर बस्ती शेड में होगी।
ट्रेन के हर कोच में दोनों ओर से 1,500mm चौड़े दरवाजे होंगे जिन्हें खिसकाया जा सकता है। इस ट्रेन की यात्री क्षमता 2,882 है। ट्रेन की ड्राइविंग पावर कार के पास महिलाओं एवं दिव्यागों के लिए अलग कंपार्टमेंट्स होंगे।
सोलर पावर सिस्टम से ट्रेन करीब 48 घंटे तक चल सकती है। उसके बाद ही ओएचई पावर के लिए स्विच करने की आवश्यकता होगी।
पिछले साल के रेल बजट में रेल मंत्रालय सुरेश प्रभु ने ऐलान किया था कि रेलवे सौर ऊर्जा से अगले 5 सालों में 1,000 मेगावॉट बिजली पैदा करेगा। सौर ऊर्जा युक्त डेमू ट्रेन इसी योजना का हिस्सा है।
रेलवे बोर्ड के मेंबर रविंद्र गुप्ता ने कहा कि पूरी परियोजना लागू हो जाने पर रेलवे को हर साल 700 करोड़ रुपये की बचत होगी। उन्होंने कहा कि अगले 25 सालों में रेलवे सोलर पैनलों की बदौलत हर ट्रेन में 5.25 लाख लीटर डीजल बचा सकता है। इस दौरान रेलवे को प्रति ट्रेन 3 करोड़ रुपये की बचत होगी। इतना ही नहीं, सोलर पावर के इस्तेमाल से 25 सालों में प्रति ट्रेन 1,350 टन कार्बन डाइ ऑक्साइड का उत्सजर्न कम होगा।
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