पहनावा फॉर्मल रखें क्योंकि क्या पता कभी भी आपको बॉस या किसी सीनियर व्यक्ति से मिलने के लिए भेजा जा सकता है।
अच्छा होगा जितनी जल्दी अपने साथियों का नाम याद कर लें। इशारों में न बुलाएं, अगर किसी स्थिति में सामने वाले का नाम भूल भी जाते हैं तो उससे माफी मांग कर फिर पूछ लें।
सवाल पूछने या मदद मांगने में कभी न हिचकिचाएं। आप उस ऑफिस में नए हैं तो जाहिर है सब कुछ नहीं जानते होंगे। लेकिन जानने की इच्छा जरूर रखें।
अगर आपको चीजें याद रखने में परेशानी होती है तो संस्था के बारे में नियम कानून और तौर तरीकों को लिख लेने में भी हर्ज नहीं है। एक ही चीज को बार बार पूछेंगे तो सामने वाला भी झुंझला जाएगा।
शुरुआती दिनों में आपको काम कम ही दिया जाएगा, लेकिन काम जल्दी खत्म हो जाने पर अगली चीज का इंतजार करने के बजाए खुद से पहल करें और काम मांगें।
बहुत जरूरी है कि कम से कम शुरुआती दिनों में ऑफिस सही समय पर पहुंचें। समय सीमा से कुछ देर और रुखने में भी हर्ज नहीं है।
ऑफिस के परपंच और पॉलिटिक्स से दूर ही रहें तो बेहतर है। आपके बेहतर काम को देख कर कुछ लोगों को आपको इस दलदल में घसीटने में समय नहीं लगेगा।
कोशिश करें ऑफिस के समय अपना निजी काम न करें। ध्यान केंद्रित रखें।
किसी चर्चा के दौरान आगे आगे बोलने से बेहतर है दूसरे की भी सुनें। हर चीज में अपनी राय देने से फायदा नहीं है।
अपने बॉस को अपने काम से जुड़ी हर चीज की जानकारी देते रहें। खासकर शुरुआती दिनों में समय समय पर अपने बॉस से मिलते रहने से आप दोनों के बीच अच्छा रिश्ता बनेगा।
खुद भी अपने काम का रिकॉर्ड रखें और उसे सुधारने की कोशिश करते रहें। यह आपको आगे चल कर भी बहुत मदद करेगा।
अपने अंदर आत्मविश्वास की कमी कभी न होने दें। यही चीज है जो आपको आगे तक ले जाएगी। नौकरी के शुरुआती दिनों में ही नहीं बल्कि जिंदगी भर।