पावन पर्व नवरात्र कल से शुरु हो रहा हैं नवरात्रों में दुर्गा माँ के नौ रूपों की पूजा नौ दिनों तक चलती हैं। नवरात्र के आरंभ में प्रतिपदा तिथि को उत्तम मुहूर्त में कलश या घट की स्थापना की जाती है। कलश स्थापना और पूजन करके नवरात्री की शुरुवात की जाती है। कलश को भगवान गणेश का रूप माना जाता है जो की किसी भी पूजा में सबसे पहले पूजनीय हैं इसलिए सर्वप्रथम घट रूप में गणेश जी को बैठाया जाता है।
कलश स्थापना और पूजन के लिए महत्त्वपूर्ण वस्तुएं
- मिट्टी का पात्र और जौ के 11 या 21 दाने
- शुद्ध साफ की हुई मिट्टी जिसमें पत्थर नहीं हो
- शुद्ध जल से भरा हुआ मिट्टी , सोना, चांदी, तांबा या पीतल का कलश
- मौली (लाल सूत्र)
- अशोक या आम के 5 पत्ते
- कलश को ढकने के लिए मिट्टी का ढक्कन
- साबुत चावल
- एक पानी वाला नारियल
- पूजा में काम आने वाली सुपारी
- कलश में रखने के लिए सिक्के
- लाल कपड़ा या चुनरी
- मिठाई
- लाल गुलाब के फूलो की माला
कलश स्थपना विधि
नवरात्रों के प्रथम दिन सवर्प्रथम कलश की स्थापना करें।
कलश में सुपारी, सिक्का डालकर आम या अशोक के पत्ते रखने चाहिए।
कलश के मुख को ढक्कन से ढंक देना चाहिए। ढक्कन पर चावल भर देना चाहिए।
एक नारियल ले उस पर चुनरी लपेटकर कलश के मुख पर रक्षा सूत्र बांधना चाहिए।
इस नारियल को कलश के ढक्कन पर रखते हुए सभी देवताओं का आवाहन करना चाहिए।
अंत में दीप जलाकर कलश की पूजा करनी चाहिए। कलश पर फूल और मिठाइयां चढ़ाना चाहिए।
जाने नवरात्र के पहले दिन किस माँ की करते है पूजा
नवरात्रों में माँ दुर्गा को पहले दिन माँ शैलपुत्री में पूजा जाता हैं पर्वतराज हिमालय पर जन्म लेने से इनका नाम शैलपुत्री( पार्वती) पड़ा, ये भगवान शिव की पत्नी हैं। और नवरात्र के पहले दिन इनकी पूजा और आराधना की जाती हैं।
इस बार नवरात्र 28 मार्च की शाम से शुरू हो रहा हैं जिसके चलते 29 मार्च को माँ शैलपुत्री और माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा साथ में की जाएगी। माँ ब्रह्मचारिणी दुर्गा माँ का दूसरा रूप हैं बताया जाता है कि वो मौन होकर तपस्या लीन रहती है। नवरात्र के दूसरे दिन साधक का मन ‘स्वाधिष्ठान’चक्र में स्थित होता है। जिससे मां ब्रह्मचारिणी जी की कृपा और भक्ति को प्राप्त करता है।