लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाय से हो गई है। चार दिवसीय महापर्व में व्रती अपनी संतान की लंबी आयु के लिए भगवान सूर्यनारायण की आराधना करती हैं। चैत्र में भी छठी मैय्या और सूर्य देव की पूजा का विधान है। इस बार चैत्र छठ पर्व की शुरुआत 12 अप्रैल को नहाय खाय के साथ हुई। 15 अप्रैल को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ इसका समापन होता है।
चौबीस घंटो से अधिक समय तक निर्जल व्रत रखते हैं
इधर, पटना के गांधी घाटों पर बड़ी संख्या में छठ करने वाले परवर्तियों की भीड़ देखी गई। जिला प्रशासन की ओर से 15 अप्रैल तक सुरक्षा की व्यापक इंतजाम किए गए हैं। गंगा घाट पर आस्था की डुबकी लगाने आईं महिलाओं ने कहा कि यह व्रत संतान की लंबी उम्र, उसके स्वास्थ्य और सुखमय जीवन की कामना के साथ रखा जाता है। यह व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। 36 घंटों तक कठिन नियमों का पालन करते हुए इस व्रत को रखा जाता है। इस दौरान व्रती चौबीस घंटो से अधिक समय तक निर्जल व्रत रखते हैं।
इधर, पटना के गांधी घाटों पर बड़ी संख्या में छठ करने वाले परवर्तियों की भीड़ देखी गई। जिला प्रशासन की ओर से 15 अप्रैल तक सुरक्षा की व्यापक इंतजाम किए गए हैं। गंगा घाट पर आस्था की डुबकी लगाने आईं महिलाओं ने कहा कि यह व्रत संतान की लंबी उम्र, उसके स्वास्थ्य और सुखमय जीवन की कामना के साथ रखा जाता है। यह व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। 36 घंटों तक कठिन नियमों का पालन करते हुए इस व्रत को रखा जाता है। इस दौरान व्रती चौबीस घंटो से अधिक समय तक निर्जल व्रत रखते हैं।
चार दिनों वाले पर्व में किस दिन क्या किया जाता है? आइए जानते हैं…
छठ पर्व की शुरुआत नहाय खाय से होती है। इसके बाद खरना मनाया जाता है। दिनभर व्रत के बाद व्रती रात को पूजा के बाद गुड़ से बनी खीर खाकर उसके बाद से 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू करती हैं। षष्ठी तिथि छठ पूजा का तीसरा दिन होता है। इस दिन छठ पर्व की मुख्य पूजा की जाती है। छठ पर्व के तीसरे दिन व्रती और परिवार के सभी लोग नदी, सरोवर, पोखर या तालाब आदि में जाकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं और छठी मईया का पूजन किया जाता है। चौथा दिन यानी सप्तमी तिथि छठ महापर्व का अंतिम दिन होता है।इस दिन प्रातः उगते सूर्य को जल दिया जाता है। इसी के साथ छठ पर्व का समापन होता है।
छठ पर्व की शुरुआत नहाय खाय से होती है। इसके बाद खरना मनाया जाता है। दिनभर व्रत के बाद व्रती रात को पूजा के बाद गुड़ से बनी खीर खाकर उसके बाद से 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू करती हैं। षष्ठी तिथि छठ पूजा का तीसरा दिन होता है। इस दिन छठ पर्व की मुख्य पूजा की जाती है। छठ पर्व के तीसरे दिन व्रती और परिवार के सभी लोग नदी, सरोवर, पोखर या तालाब आदि में जाकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं और छठी मईया का पूजन किया जाता है। चौथा दिन यानी सप्तमी तिथि छठ महापर्व का अंतिम दिन होता है।इस दिन प्रातः उगते सूर्य को जल दिया जाता है। इसी के साथ छठ पर्व का समापन होता है।
- 12 अप्रैल 2024: नहाय-खाय
- 13 अप्रैल 2024: खरना
- 14 अप्रैल 2024: शाम का अर्घ्य
- 15 अप्रैल 2024: सुबह का अर्घ्य और पारण