राजनीति में फैसले लेने से ज्यादा महत्वपूर्ण है कि फैसले किस समय पर लिए जाते हैं। इसकी बानगी यूपी में होने वाले निकाय चुनावों के दौरान देखी जा सकती है। तीन यहां तीन चरणों में होने वाले चुनाव तक योगी सरकार ने कोई ऐसा फैसला नहीं लिया जिससे निकाय चुनाव लड़ रहे उनके प्रत्याशियों को कोई नुकसान होता।
Up Civic Poll Results: इन 4 शहरों में पहली बार चुना जाएगा मेयर…
बता दें कि यूपी में तीन चरणों में निकाय चुनाव हुए जिसका अंतिम चरण 29 नवंबर को था। इसके एक दिन बाद यानि एक दिसंबर को वोटों की गिनती और नतीजों को समय था।
ऐसे में योगी ने मतदान के अंतिम दिन और नतीजे आने के बीच बचे एक दिन का बड़े ही चतुराई से इस्तेमाल किया और अपना राजनीतिक दांव चल दिया।
इससे साफ जाहिर है कि योगी सरकार ने निकाय चुनाव को ध्यान में रखते हुए इस बड़े फैसले को रोके रखा था और वोटिंग खत्म होते ही सरकार ने कड़ा फैसला लोगों पर थोप दिया।
गौर करने वाली बात ये है कि महंगी बिजली के करंट का झटका खासतौर ग्रामीण इलाके के उपभोक्ताओं को लगा है। उनके लिए कई स्लैब में बिजली के दाम दोगुने से भी ज्यादा बढ़ गए हैं।
बिजली की नई दरों से ग्रामीण उपभोक्ताओं पर भारी बोझ पड़ा है। इन्हें पहले 150 यूनिट तक सस्ती बिजली मिलती थी लेकिन, अब यह छूट 100 यूनिट तक सीमित कर दी गई है।
बिजली के दाम 5.50 रुपये/ यूनिट की जगह 6.10 रुपये/ यूनिट हो गए हैं। फिक्स चार्ज 85 रुपये से बढ़ाकर 95 रुपये/किलोवॉट/माह कर दिया गया है।
TOS News Latest Hindi Breaking News and Features