नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष में निर्यात ऋण में 32 फीसदी की तेज बढ़ोतरी हुई है। साथ ही वैश्विक मांग में सुधार होने से शिपिंग के क्षेत्र में भी तेजी आई है। वहीं, कृषि क्षेत्र को दिए जाने वाले ऋण में भी तेजी देखी गई है। एसोचैम की रविवार को जारी रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
 इस रिपोर्ट में भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए बताया गया है कि चालू वित्त वर्ष में 20 जनवरी तक कुछ चुनिंदा क्षेत्रों ने अच्छा प्रदर्शन किया है, जबकि वित्त वर्ष 2016-17 में ऋण की वृद्धि दर निराशाजनक रूप से 3.3 फीसदी रही है।
इस रिपोर्ट में भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए बताया गया है कि चालू वित्त वर्ष में 20 जनवरी तक कुछ चुनिंदा क्षेत्रों ने अच्छा प्रदर्शन किया है, जबकि वित्त वर्ष 2016-17 में ऋण की वृद्धि दर निराशाजनक रूप से 3.3 फीसदी रही है।
इसमें कहा गया है कि उधारदाताओं (बैंक आदि) से धन की मांग में सकल बैंक ऋण, निर्यात, कृषि और उससे संबंधित गतिविधियों, शिपिंग, पेशेवर सेवाओं, उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं और वाहन क्षेत्र सबसे आगे रहे।
इनमें 20 जनवरी, 2017 (आरबीआई के नवीनतम आंकड़े के अनुसार) तक सालाना आधार पर निर्यात ऋण में 32 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसमें शिपिंग में सबसे ज्यादा ऋण दिए गए जो कि 15.7 फीसदी रही, उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं में 17.1 फीसदी और वाहन ऋण 18.2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।
एसोचैम के महासचिव डी. एस. रावत ने बताया, “ये विकास के खंड है जो अर्थव्यवस्था को ट्रैक पर रखते हैं। इसमें कृषि और उससे संबंधित गतिविधियां (खाद्य ऋण के अलावा) शामिल हैं, जिसमें बैंक ऋण में मांग में बढ़ोतरी को दर्शाता है और यह आठ फीसदी रही है। शिपिंग ऋण में सुधार वैश्विक व्यापार में वृद्धि को दर्शाता है। इससे चालू वित्त वर्ष में देश से व्यापारिक वस्तुओं के निर्यात वापस तेजी लौटी है।
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