नोटबंदी के बाद सबसे बड़ी गड़बड़ी आई सामने, आयकर की टीम दौड़ा कर लपेटेगी

नोटबंदी के बाद बैंकों में मोटी रकम जमा करने वाले सर्राफ आयकर के निशाने पर आ गए हैं। एक हफ्ते के भीतर आयकर विभाग ने ऐसे दूसरे सर्राफ की पड़ताल शुरू कर दी है, जिसने ग्राहकों का नाम-पता या पहचान पूछे बिना ही कालेधन के बदले ऊंचे दाम पर सोना बेचा और फर्जी बिल काट कर रकम बैंक में जमा कर दी। बद्री प्रसाद सर्राफ के यहां से नोटबंदी के तुरंत बाद जमा की गई 15 करोड़ रुपये की ऐसी ही रकम का पता लगाने के लिए शनिवार को पहुंचे आयकर विभाग को छापे के दौरान कुल करीब 25 करोड़ रुपये की गड़बड़ी मिली है।आयकर के उप निदेशक (जांच) जयनाथ वर्मा ने बताया कि बद्री प्रसाद सर्राफ के यहां से नोटबंदी के बाद 15 करोड़ रुपये के हजार व पांच सौ रुपये के नोट बैंक में जमा किए गए थे। इसका स्नोत बताने के लिए उन्हें ई-मेल से नोटिस भेजा गया, जिसका वह संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। इस पर आयकर की टीम शनिवार सुबह गोपाल केसरवानी के हिस्से में आने वाले महानगर व पत्रकारपुरम के शोरूमों में एक साथ पहुंची। साथ ही लखनऊ में दो जगह आवासों पर भी छापेमारी शुरू कर दी गई।

शोरूमों पर खाताबही की जांच के दौरान भी सर्राफ यह स्पष्ट नहीं कर सके कि बैंक में जमा कराए गए 15 करोड़ रुपये उन्हें किन ग्राहकों से प्राप्त हुए थे। 15 करोड़ की बिक्री भी नोटबंदी के ठीक पहले के दो दिनों में सात व आठ नवंबर को दिखाई गई, लेकिन इस बिक्री के साथ कोई साक्ष्य नहीं मिले।

कोलकाता में फर्जी कंपनियों की छापेमारी के दौरान मिले दस्तावेजों से कोलकाता की दो ऐसी इन्वेस्टमेंट कंपनियों का पता चला, जिन्होंने बद्री प्रसाद सर्राफ के यहां करीब पांच करोड़ रुपये का निवेश किया था। आयकर ने तुरंत कोलकाता टीम को सूचना देकर मौके पर भेजा तो कंपनियां फर्जी निकलीं। माना जा रहा है कि बद्री प्रसाद सर्राफ ने ही अपना काला धन खपाने के लिए फर्जी कंपनियों के नाम से निवेश दिखाया है।

लॉकर व संपत्ति के दस्तावेज जब्त बद्री प्रसाद सर्राफ के पांच ठिकानों पर छापे के दौरान आयकर के अधिकारियों को लॉकर का पता चला है और संपत्ति के दस्तावेज भी प्राप्त हुए हैं। टीम ने इन्हें कब्जे में ले लिया है। हालांकि किताबों में दर्ज स्टॉक और वास्तविक सोने-चांदी का मिलान व मूल्यांकन रात तक जारी था।

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