यूपी में हुए विधानसभा आम चुनाव से पहले बसपा की आय में बंपर इजाफा हुआ। नवंबर 2016 में हुई नोटबंदी का भी असर बसपा पर नहीं पड़ा।  जहां पार्टी की 2015-16 की कुल आय 47.385 करोड़ थी वहीं 2016-17 में यह बढ़कर 173.58 करोड़ रुपये हो गई। बुधवार को इलेक्शन वॉच की ओर से जारी रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। चुनाव सुधार के लिए काम करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) ने चुनाव आयोग को सौंपे गए आय-व्यय के ब्यौरे का विश्लेषण किया है।
बुधवार को इलेक्शन वॉच की ओर से जारी रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। चुनाव सुधार के लिए काम करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) ने चुनाव आयोग को सौंपे गए आय-व्यय के ब्यौरे का विश्लेषण किया है।
 बुधवार को इलेक्शन वॉच की ओर से जारी रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। चुनाव सुधार के लिए काम करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) ने चुनाव आयोग को सौंपे गए आय-व्यय के ब्यौरे का विश्लेषण किया है।
बुधवार को इलेक्शन वॉच की ओर से जारी रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। चुनाव सुधार के लिए काम करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) ने चुनाव आयोग को सौंपे गए आय-व्यय के ब्यौरे का विश्लेषण किया है।
एडीआर की रिपोर्ट बताती है कि मायावती की अगुवाई वाली बसपा पर नोटबंदी का भी असर नहीं हुआ। उसे विधानसभा चुनाव में जमकर चंदा मिला। लेकिन खर्च सिर्फ 30 प्रतिशत ही किया। साल 2016 की शुरुआत में बसपा की कुल आय जहां 47.385 करोड़ रुपये थी वहीं वित्तीय वर्ष बीतते बीतते यह आय पौने दो सौ करोड़ रुपये के करीब पहुंच गई। चुनाव के दौरान मायावती का कुल खर्च 51.83 करोड़ रुपये ही रहा।
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