चंडीगढ़, [मनोज त्रिपाठी]। आम आदमी पार्टी का प्रदेश प्रधान बनने के बाद भी पंजाब की सियासत से सांसद भगवंत मान लगभग गायब चल रहे हैं। प्रधान बनने के दो महीने बाद भी विभिन्न मुद्दों पर कैप्टन सरकार के खिलाफ उनकी चुप्पी आम अादमी नेताओं को अखर रही है। मान न तो संगठन विस्तार के लिए कदम उठा रहे हैं और न ही पार्टी को सक्रिय करने में अधिक दिलचस्पी दिखा रहे हैं। प्रदेश के राजनीति में बड़ा सवाल उठ रहा है कि आखिर माजरा क्या है।अब पूरा विश्व एक साथ लगा रहा है ‘हर हर मोदी’ के नारे, पीएम मोदी को देश की जनता का ये बड़ा उपहार…
विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के उम्मीद के विपरीत प्रदर्शन के बाद पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने गुरप्रीत सिंह वड़ैच घुग्गी को प्रदेश कन्वीनर पद से हटा दिया था। घुग्गी को हटाने के साथ ही आप नेताओं की मांग मानते हुए इस पद को खत्म कर प्रधान पद बना दिया था। प्रधान पद भगवंत मान को सौंपी गई। इससे उम्मीद की जा रही थी कि विधानसभा चुनाव के बाद से नाराज चल रहे मान अब संतुष्अ होंगे और पार्टी को पंजाब में नए सिरे से सक्रिय कर जीवंत करेंगे।
मान को आप का पंजाब प्रधान बनाने का घुग्गी व खैहरा ने खुलकर विरोध किया था और आरोप लगाया था कि मान शराब की लत के चलते अच्छा असर नहीं छोड़ पाएंगे। उनका कहना था कि मान विधानसभा चुनाव में आप की चुनाव प्रचार कमेटी के कन्वीनर थे और ऐसे में पंजाब में हुई हार उनकी जिम्मेवारी है। केजरीवाल ने पार्टी नेताओं के सारे तर्कों को किनारे करके मान को ही प्रधान की जिम्मेवारी सौंपी थी। केजरीवाल ने उन्हें चेतावनी भी दी थी कि वे शराब को लेकर अपनी इमेज को सही करें। इसके बाद मान करीब एक माह के लिए विदेश दौरे पर चले गए थे।
उम्मीद की जा रही थी कि विदेश से लौटने के बाद मान जोरदार तरीके से पंजाब की सियासत में एक बार फिर से इंट्री करेंगे और आप को नई ऊर्जा प्रदान करेंगे। हुआ उसके विपरीत। मान की ताजपोशी के लिए केजरीवाल ने उनके विदेश दौरे से आने के बाद जून में पंजाब का दौरा भी किया था। केजरीवाल की तरफ से मान को पूरी पावर देने के बाद उसका असर अभी तक नहीं दिखाई दे रहा है।
मान ने प्रदेश उपाध्यक्ष अमन अरोड़ा के हवाले संगठन विस्तार का काम सौंप कर चुप्पी साध ली है। इस दौरान पंजाब में रेत खनन के मामले में कांग्रेस घिरी। ड्रग्स व भ्रष्टाचार के कई मुद्दे विपक्ष के हाथ भी आए, लेकिन एक भी मामले में मान ने प्रदेश स्तर पर पार्टी की तरफ से कोई उपलब्धि दर्ज नहीं करवाई।
इतना ही नहीं विधानसभा परिसर में जब आम आदमी पार्टी के विधायकों को मार्शलों द्वारा फेंका गया तो भी मान ने चुप्पी नहीं तोड़ी। पार्टी के विधायकों व गठबंधन की सहयोगी लोक इंसाफ पार्टी के बैंस ब्रदर्स ने कमान संभाल कर विधानसभा सत्र में खलल जरूर डाला था। मान के इस रवैये के चलते आप कार्यकर्ताओं में भी निराशा झलकने लगी है
किंगमेकर बनना चाह रहे हैं मान
आप के सूत्रों की मानें तो भगवंत मान प्रधान के साथ-साथ आम आदमी पार्टी में किंगमेकर बनने की कवायद में लगे हैं। यह अलग बात है कि अभी तक किस-किस चेहरे को पार्टी में आगे बढ़ाना है, वह यही तय नहीं कर पाए हैं। अमन अरोड़ा को जरूर पार्टी में प्रमोट करने में जुटे हैं और उन्हें संगठन के विस्तार की भी जिम्मेवारी सौंपी है, लेकिन खुद इस जिम्मेवारी से दूर भाग रहे हैं। आखिर ऐसे क्या कारण हैं कि मान कार्यकर्ताओं के बीच भी जाने से कतरा रहे हैं।
” पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भगवंत मान चुप नहीं हैं। गंभीर मुद्दों पर ही वह प्रतिक्रिया देते हैं। सतलुज यमुना लिंक (एसवाइएल) नहर मामले में उन्होंने प्रतिक्रिया दी थी।