पंजाब में सांसों पर संकट: लोगों का घर से निकलना हुआ मुश्किल…

दीपावली के बाद प्रदूषण का स्तर फिर बढ़ने लगा है, स्माॅग की लहर सुबह-शाम को फैलने लगी है, जिसमें सांस रोग के मरीज फंसने लगे हैं, वहीं निजी व सरकारी अस्पतालों में आंख, सांस व फेफड़े के मरीजों की संख्या एकदम से बढ़ने लग गई है। बच्चों व बुजुर्गों को भारी दिक्कत हो रही है, आंखों में जलन व सांस के रोगियों की सांसें फूलने लगी हैं। सामान्यतः एयर क्वालिटी इंडैक्स 0 से 50 के बीच होना चाहिए, लेकिन अमृतसर में इंडैक्स खतरे के निशान से ऊपर है। आने वाले दिनों में मरीजों व लोगों को और दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसा ही रहा तो सेहत के लिए यह खतरनाक होगा, लिहाजा अभी से सावधान रहने की जरूरत है।

पहले ही धान की कटाई के बाद सांस रोगियों की संख्या में वृद्धि हुई थी, परंतु अब दीपावली के बाद एकदम से स्माॅग ने पैर पसार लिए हैं। सांस लेने में लोगों को परेशानी हो रही है। दोबारा बच्चे व बुजुर्ग माॅस्क लगाने के लिए मजबूर हो गए हैं। स्कूलों में बच्चों में खांसी, जुकाम, बुखार आदि के लक्षण सामने आने लगे हैं, वहीं बुजुर्गों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। जिले के सबसे बड़े छाती रोग सरकारी टी.बी. हॉस्पिटल में अचानक से सांस के रोगियों की संख्या में इजाफा हुआ है। बच्चे व बुजुर्ग बड़ी तादद में डॉक्टरों के पास आ रहे हैं। जिले के छाती रोग विशेषज्ञों के पास भी मरीज बढ़ रहे हैं। उधर, तरफ पंजाब केसरी की टीम ने निरीक्षण किया तो लोग माॅस्क लगाकर या रूमाल बांधकर अपनी मंजिलों की ओर जा रहे थे। पता चला है कि यदि जब तक बरसात नहीं होती, तब तक स्माॅग की लहर चलती रहेगी।

स्माॅग में मौजूद होते हैं जहरीले तत्व
इंडियन मैडीकल एसोसिएशन के टी.बी. कंट्रोल के नोडल अधिकारी डॉ. नरेश चावला ने बताया कि आमतौर पर जब ठंडी हवा किसी भीड़भाड़ वाली जगह पर पहुंचती है, तब स्मॉग बनता है, जिसमें पानी की बूंदों के साथ धूल व हवा में मौजूद जहरीले तत्व जैसे नाइट्रोजन ऑक्साइड और ऑर्गेनिक कंपाऊंड मिलकर नीचे की तरफ गहरी परत बना लेते हैं। इससे दृश्यता बाधित होती है और यह पर्यावरण को भी अस्त-व्यस्त कर देती है। डॉ. चावला ने कहा कि बच्चों, बुजुर्गों व अन्य लोगों को घर से बाहर निकलते समय माॅस्क लगाना चाहिए।

स्मॉग से खांसी, गले व छाती में संक्रमण का खतरा
सरकारी टी.बी. हॉस्पिटल के सीनियर डॉ. संदीप महाजन ने बताया कि स्मॉग से खांसी, गले व छाती में संक्रमण का खतरा रहता है। अस्थमा वालों के लिए यह काफी खतरनाक है, जिन्हें स्मॉग में घर से निकलने से बचना चाहिए। यह अस्थमा, साइनस व एलर्जी वाले मरीजों के लिए उत्प्रेरक का काम करता है। इसके लिए प्रदूषण भी काफी हद तक जिम्मेदार है।

सरकारी ओ.पी.डी. में बढ़ने लगी मरीजों की संख्या
सरकारी टी.बी. हॉस्पिटल के सीनियर डॉ. विशाल वर्मा ने बताया कि स्मॉग के कारण सांस लेने में दिक्कत होने पर कई तरह की परेशानियां होती हैं। बुखार होने का खतरा बना रहता है। गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों, सांस के मरीजों के लिए यह ज्यादा नुकसानदेह हैं। इस तरह के मौसम में नए वायरस फैल जाते हैं, जो लोगों को कई तरह की बीमारियां देते हैं। ओ.पी.डी. में सांस के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है।

स्मॉग से प्रभावित होती है आंखों की नमी
जिला टी.बी. अधिकारी डॉ. विजय गोतवाल ने बताया कि स्मॉग से सांस रोग के अलावा आंखों की नमी प्रभावित होती है और चिकनाहट घटने लगती है, सूखापन आने लगता है। जब आंखों में स्मॉग के जरिए कार्बन के कण, पार्टिकल्स, कीटाणु आदि आ जाते हैं तो आंखों से सुरक्षा के तौर कुछ एंजाइम्स निकलते हैं। एंजाइम्स व धुंध से आए कणों के मिश्रण से आंखों से पानी आना, आंखें लाल होना, सूजन, जलन, खुजली समस्याएं होने लगती हैं। बचने के लिए दिनभर में आंखों को कई बार धोएं। घर से निकलते समय गॉगल्स जरूर लगाएं। खुद कोई आईड्रॉप न डाले। किसी विशेषज्ञ से सलाह लें।

स्मॉग से बचाव के लिए बरतें ये सावधानियां
इंडियन मैडीकल संगठन के मैंबर डॉ. रजनीश शर्मा ने बताया कि बताया कि स्मॉग के दिनों पर सावधानी के तौर पर अपनी गतिविधियां सामान्य रखें, यानी दौड़ना या साइकिल चलाना, टहलना आदि कम करें, जिससे सांस की समस्याओं से राहत मिलेगी। घरों की खिड़कियां-दरवाजें बंद रखें। सांस के मरीज अपनी दवाएं समय से लें। कोई परेशानी होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। हरी सब्जियों व पौष्टिक आहार का सेवन करें। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने पर आप प्रदूषण से लड़ पाएंगे। धूम्रपान को न कहें।

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