स्वास्थ्य विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी अनुराग अग्रवाल ने शुक्रवार को जिन 22 लैब तकनीशियनों को नौकरी से निकालने के आदेश दिए थे, उस पर स्वास्थ्य मंत्री बलबीर flह सिद्धू ने रोक लगा दी है। अब इन्हें नौकरी से नहीं निकाला जाएगा, बल्कि जो कांट्रैक्ट पर काम कर रहे हैं, उनकी नौकरी भी स्थायी की जाएगी।
स्वास्थ्य मंत्री ने एडिशनल चीफ सेक्रेटरी हेल्थ के आदेशों पर लगाई रोक
स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिद्धू ने कहा है कि सीएमओ अमृतसर की ओर से इन सभी को स्थायी करने की सिफारिश आ गई है। सरकार जल्द सभी को पक्का करेगी। मंत्री ने कहा कि कोरोना के वक्त मेडिकल स्टाफ को इस तरह निकालने का आदेश किसी भी तरह से सही नहीं है। हर काम की एक प्रक्रिया होती है। सभी जिलों से पता करना पड़ता है कि कितने लोगों की कहां जरूरत है और इन्हें कहां भेजा जा सकता है।
सरप्लस होने के कारण 22 लैब तकनीशियनों को किया गया था बर्खास्त
उन्होंंने कहा कि नौकरी से निकालने जैसा बड़ा कदम उठाने से पहले भी विचार करना चाहिए। ऐसे किसी को भी नौकरी से नहीं निकाला जा सकता। जब उनसे पूछा गया कि अमृतसर में मात्र पांच पद ही मंजूर हैं, जबकि वहां पर 27 लोग काम कर रहे हैं, तो उन्होंने कहा कि कोरोना के चलते अतिरिक्त स्टाफ की की जरूर है और अमृतसर में ही सबसे पहले कोरोना के मरीज आए थे। आज भी वहां लगातार मरीजों की गिनती बढ़ रही है। वहां स्टाफ की जरूरत थी, इसलिए अतिरिक्त लैब तकनीशियन रखे गए हैं।
प्रभावशाली लोगों की सिफारिश का हवाला दे हटाया था
बता दें कि शुक्रवार को अनुराग अग्रवाल ने 27 में से 22 लैब तकनीशियनों को यह कहते हुए निकाल दिया था कि ये प्रभावशाली लोगों से सिफारिशें करवाकर लगे हुए हैं। जब इनकी ट्रांसफर की जाती है ये सिफारिशें करवाकर फिर से वहीं आ जाते हैं।
उन्होंने कहा था कि इनके खिलाफ जांच का भी कोई फायदा नहीं है क्योंकि ये फिर से उनकी सिफारिश करवाकर वहीं लग जाएंगे। मंत्री द्वारा अनुराग अग्रवाल के रोके गए आदेशों से एक बात साफ है कि मंत्री व सेक्रेटरी में सब कुछ ठीक नहीं है।