परिणाम निकलने के एक साल बाद भी भर्ती नहीं होने से नाराज ग्राम पंचायत अधिकारी, ग्राम विकास अधिकारी और समाज कल्याण पर्यवेक्षकों ने सोमवार को मुख्यमंत्री आवास के निकट प्रदर्शन कर जल्दी भर्ती की माग की। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को वापस लौटने की हिदायत दी। प्रदर्शन जारी रहने पर सबको हिरासत में ले लिया गया।
उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा मई-जून 2018 में नौकरी के लिए जगह निकली थी। इसके बाद 22 और 23 दिसंबर को उसी साल परीक्षा भी करा दी गयी थी। इसके बाद अगले साल 29 अगस्त को परीक्षा का परिणाम भी आयोग की वेबसाइट पर आ गया था। परीक्षा में पास दीपक कुमार के मुताबिक भर्ती प्र्रक्रिया तब से लटकायी जा रही है।

अभिलेख सत्यापन को लेकर बार-बार प्रकाशित कैलेंडर में केवल तारीख बदल बदल कर जारी की जा रही है। कई बार धरना प्रदर्शन के बाद आयोग ने अंतिम संशोधित परिणाम जारी किया जिसमें 1952 व्यक्तियों के सापेक्ष केवल 1553 व्यक्तियों को ही दस्तावेज सत्यापन के लिए योग्य घोषित किया गया।

12 मार्च से लेकर दो जून तक की अवधि में सत्यापन आयोग द्वारा कराया गया जिसमें 399 अभ्यर्थियों का परिणाम जांच के अधीन रखा गया। 30 जून को आयोग ने इसकी एसआईटी जांच कराने की घोषणा की थी। तब से लेकर अब यह नहीं बताया जा रहा है कि जांच कब पूरी होगी। सरकार की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं। हम लोग बार-बार इसको लेकर मांग कर रहे हैं।
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