पशुपालन विभाग में नियमों को दर किनार कर बाबुओं को फार्मासिस्ट बना दिया गया है। उत्तर प्रदेश पशु चिकित्सा फार्मेसिस्ट संघ ने पशुपालन विभाग के प्रमुख सचिव और निदेशक को पत्र लिखकर पशुपालन विभाग में दवाइयों के वितरण के लिए फार्मासिस्ट की अनिवार्य रूप से पद स्थापना करने की मांग की है। संघ के अध्यक्ष पंकज शर्मा ने बताया कि कराया है कि पशुपालन विभाग में सदर अस्पताल से जनपद के अन्य पशु अस्पताल में दवाइयों का वितरण होता है। विभाग में मवेशियों के इलाज के लिए अंग्रेजी दवाइयां ही खरीदी और बांटी जाती है। ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट-1945 तथा फार्मेसी एक्ट-1948 के तहत फार्मेसिस्ट का होना अनिवार्य है, लेकिन विभाग में विगत कई वर्षों से फार्मासिस्ट की भर्ती नही होने के कारण पद रिक्त चल रहा है।
संघ के महामंत्री शारिक हसन खान चीफ फार्मासिस्ट के पद पर पदोन्नति न होने से सदर के चिकित्सालय में भी पद रिक्त है। इसी का फायदा उठाकर विभागीय अधिकारियों ने अपने चहेते अन्य संवर्ग के कर्मचारियों को दवाइयों के वितरण और रखरखाव का कार्य अनियमित रूप से भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के लिए करवा रहे हैं। विभाग के केंद्रीय भंडार पॉलीक्लिनिक बादशाह बाग को हटाकर बीपी सेक्शन बादशाह बाग में कर दिया गया जहां पर किसी भी वेटरनरी फार्मासिस्ट की पदस्थापना नहीं है। लिपिक संवर्ग द्वारा दवाएं प्राप्ति और और वितरित कराई जा रही हैं। इसी तरह का एक मामला जनपद हरदोई में मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी द्वारा सदर पशु चिकित्सालय का केंद्रीय भंडार में लिपिक को आदेश करके दवा का रखरखाव व वितरण का आदेश किया है जिसके विरुद्ध संघ ने विभागीय उच्च अधिकारियों के साथ-साथ राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद और राजकीय फार्मेसिस्ट महासंघ को भी पत्र लिखकर अवगत कराया है। राजकीय फार्मासिस्ट महासंघ के अध्यक्ष और फार्मेसी काउंसिल के पूर्व चेयरमैन सुनील यादव ने कहा है कि पशुओ की एलोपैथी दवाइयों का वितरण फार्मेसिस्ट द्वारा ही किया जाए ऐसी व्यवस्था पशुपालन विभाग में सुनिश्चित किया जाए। ऐसा नहीं करना फार्मेसी एक्ट के अनुसार दंडनीय अपराध है।
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