सचिन पायलट खेमे की वापसी के बाद लग रहा था कि राजस्थान में सियासी घमासान थम गया है, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है। पायलट गुट की वापसी से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का खेमा नाराज हो गया है। मुख्यमंत्री ने भी विधायकों की नाराजगी को स्वाभाविक बताया है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से यह प्रकरण हुआ और जिस तरह से विधायक एक महीने तक रहे, यह स्वाभाविक है। मैंने उन्हें समझाया है कि  राष्ट्र, राज्य, लोगों की सेवा करने के लिए और लोकतंत्र को बचाने के लिए कभी-कभी हमें सहनशील होने की आवश्यकता होती है। 
गहलोत ने आगे कहा कि हम साथ काम करेंगे। हमारे जो दोस्त चले गए थे वो अब वापस आ गए हैं। मुझे उम्मीद है कि हम अपने सभी मतभेदों को दूर करेंगे और राज्य की सेवा करने के अपने संकल्प को पूरा करेंगे। हम भाजपा को लोकतंत्र की हत्या नहीं करने देंगे। जानकारी के अनुसार जैसलमेर में मंगलवार को विधायक दल की बैठक में पायलट खेमे की वापसी का विरोध हुआ था। वहीं कांग्रेस ने कहा है कि राजस्थान में सियासी संकट का अध्याय बंद हो गया है। उसकी सरकार का समर्थन करने वाले सभी विधायक राजस्थान को मजबूत करने और कोरोना और अन्य आर्थिक आपदाओं से लड़ने की दिशा में काम करेंगे।
भाजपा बेनकाब हो गई- गहलोत
मुख्यमंत्री गहलोत ने इस दौरान एक बार फिर दोहराया कि भाजपा ने राज्य सरकार को गिराने की कोशिश की और वह पूरी तरह से बेनकाब हो गई है। वो अपने खेल में सफल नहीं हो सकी … सत्यमेव जयते। वहीं भाजपा ने पूर्व में गहलोत द्वारा लगाए गए आरोपों का खंडन किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने हाल ही में सभी विधायकों को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्हें अंतरात्मा और लोगों। की आवाज सुनने और लोकतंत्र को बचाने और सच्चाई के साथ खड़े होने के लिए कहा था। उन्होंने दावा किया कि यह उस पत्र का असर था कि भाजपा ने अपने विधायकों को गुजरात ले जाने के लिए तीन चार्टर प्लेन बुक किए, लेकिन एक ही विमान जा सका।
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