मुंबई के घाटकोपर बीते दिनों जर्जर इमारत के गिरने की घटना में कई लोग अपनी जान गवां बैठे लेकिन दिल्ली में भी जर्जर इमारतों की कमी नहीं है. पुरानी दिल्ली की कई इलाके हैं जो आजादी के पहले बसाए गए हैं, इन इलाकों में बड़ी तादाद में जो मकान-दुकान और इमारतें बनी है वह अब पूरी तरह से जर्जर हालत में हैं. सदर बाजार में तो कुछ घर ऐसे भी हैं जो आजादी के वक्त से बसे हुए हैं.
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पुरानी दिल्ली के इलाके में बड़ी तादाद में जर्जर हालत में इमारतें हैं और इलाके के लोगों ने बताया कि वह आजादी के वक्त से यहां पर रह रहे हैं लेकिन बीते 50 वर्ष से भी ज्यादा हो गए लेकिन यहां कभी किसी सरकार ने कोई सुविधा नहीं दी है. दरअसल सदर बाजार उन इलाकों में है जहां पर बड़ी तादाद में कमर्शियल बाजारों का निर्माण हो चुका है. ऐसे में कई जगह लोग मकानों के ऊपर ही घर बनाकर रह रहे हैं जाहिर है बेहद पुरानी इमारतें अब जर्जर हालत में है ऐसे में कभी भी इन इमारतों के गिरने का खतरा लगा रहता है.
दिल्ली के आजाद मार्केट का हाल भी कुछ ऐसा ही है. निर्माणाधीन रानी झांसी फ्लाईओवर की वजह से कई घर आधे तोड़ दिए गए थे कुछ घरों के आगे के हिस्से को गिराया गया. पहले से ही बेहद पुराने मकान अब और भी जर्जर हो गए हैं और कभी भी गिर सकते हैं. खतरनाक यह है कि अभी भी लोग इन मकानों में रह रहे हैं.
विशेषज्ञ भी इस मसले पर चिंता जाहिर करते हैं. स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर के प्रोफेसर डॉक्टर सेवाराम कहते हैं कि दिल्ली पहले से ही सिस्मिक जोन 4 में है और दूसरी तरफ दिल्ली में कई ऐसी इमारतें बनी हैं जो मानकों को ताक पर रखकर बनाई गई हैं. इसके अलावा दिल्ली ऐतिहासिक शहर है तो यहां पर कई इमारतें तो 100 साल से भी ज्यादा पुरानी हैं.
प्रोफेसर सेवाराम का कहना है कि दिल्ली में वैसे ही भूकंप का खतरा सबसे ज्यादा है, ऊपर से दिल्ली में सिविक एजेंसियों की उदासीनता से मकान बनवाने पर कोई खास निगरानी नहीं की जाती. ऐसे में यहां इमारतें गिरने की संभावना ज्यादा है, वहीं अगर कुदरत का कहर बरसता है तो दिल्ली में नुकसान सबसे ज्यादा हो सकता है.
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