देश में बेरोजगारी मौजूदा समय की सबसे बड़ी चुनौती है. वैश्विक अर्थव्यवस्था में छाई सुस्ती और केन्द्र सरकार द्वारा आर्थिक सुधार की दिशा में उठाए गए कड़े कदमों से नए रोजगार पैदा करने की रफ्तार पर भी लगाम लग गई थी. लेकिन अब ताजा आंकड़े बता रहे देश में नई नौकरियां आने वाली है. यह आंकड़े कुछ खास शहरों का नाम भी दे रहे हैं जहां सबसे ज्यादा नौकरी आने के आसार हैं.
शेयर बाजार की तेज शुरुआत, निफ्टी 10500 के पार, सेंसेक्स 56 अंक ऊपर
ताजा आंकड़ों के मुताबिक देश में कॉमर्शियल रीयल एस्टेट की मांग तेज हुई है. आंकड़ों के मुताबिक देश के प्रमुख आठ शहरों मे 3.057 करोड़ वर्गफुट कार्यालयी स्थल की खपत हुई है. इसके साथ ही आने वाले दिनों के लिए भी इन शहरों से कॉमर्शियल स्पेस की मांग में इजाफा दर्ज हुआ है. इस बढ़त का साफ मतलब है कि देश के इन शहरों में नए ऑफिस खुलने के लिए तैयार हैं. साथ ही इस इजाफे से साफ हो रहा है कि भारत में आर्थिक वृद्धि रफ्तार पकड़ रही है और निवेशकों का भरोसा भारतीय बाजार पर बढ़ रहा है.
चेन्नई, पुणे और मुंबई जैसे शहरों में क्रमश: 38 फीसदी, 18 फीसदी और 9 फीसदी की रिकार्ड वृद्धि रही. इन शहरों के अलावा कोलकाता और हैदराबाद में भी अच्छी वृद्धि दर्ज हुई है. लिहाजा, कॉलेज और प्रोफेश्नल इंस्टीट्यूट में पढ़ाई पूरी करने वाले छात्रों के साथ-साथ डिग्रियां ले चुके छात्र नौकरी की तलाश में अपना ध्यान इन शहरों पर केंद्रित कर सकते हैं.
हालांकि देश में नई नौकरी के लिए अबतक के सबसे अहम ठिकाने बंगलूरू में 2016 के मुकाबले 30 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. बंगलूरू देश में आईटी क्षेत्र का गढ़ रहा है और यहां कॉमर्शियल स्पेस की मांग में गिरावट का साफ मतलब है कि निवेशकों का रुझान फिलहाल बंगलुरू की तरफ नहीं है.
कुशमैन एंड वेकफील्ड के सर्वेक्षण के अनुसार 2017 में कार्यालयी स्थल का उपयोग सात प्रतिशत गिरकर 3.057 करोड़ वर्गफुट रहा है जो पिछले साल 3.285 करोड़ वर्गफुट था. यह खपत मुख्य तौर पर देश के आठ प्रमुख शहरों में हुई है. इस अवधि में कार्यालयी स्थल की आपूर्ति भी 11 फीसदी गिरकर 3.220 करोड़ वर्गफुट रही है जो 2016 में 3.634 करोड़ वर्गफुट थी.
जानकार की राय: क्यों बढ़ी कॉमर्शियल स्पेस की मांग
गौरतलब है कि कुशमैन एंड वेकफील्ड के कंट्री प्रमुख और प्रबंध निदेशक अंशुल जैन ने कहा कि वैश्विक और घरेलू अनिश्चिताओं के बादल छंटने से 2017 की दूसरी छमाही में कार्यालयी स्थल की मांग का रुख सकारात्मक रहा है. जैन के मुताबिक ब्रेक्जिट, अमेरिका की फेडरल रिजर्व दरों में बदलाव, जीएसटी और रेरा को लागू करने का प्रभाव देश के कॉमर्शियल रीयल एस्टेट क्षेत्र की वृद्धि पर न्यूनतम रहा है. उन्होंने कहा कि जब मध्य तिमाहियों में जीडीपी वृद्धि में गिरावट आई तब भी भारत की जीडीपी वृद्धि को लेकर परिदृश्य सकारात्मक बना रहा. इससे कंपनियों को अपने वृद्धि योजना के साथ आगे बढ़ने को बढ़ावा मिला.
TOS News Latest Hindi Breaking News and Features