पूर्व PM मनमोहन सिंह पर भ्रष्टाचार को लेकर एक बार फिर आफत आ सकती है। संसद ने उनके खिलाफ एक रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है। जी हां कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाले को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की मुश्किलें बढ़ती दिख रहीं हैं। पब्लिक अकाउंट कमेटी ने उस रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है जिसमें पूर्व पीएम पर कई तरह के आरोप लगाए गए थे।

इनमें मनमोहन सिंह के पीएम रहते सुरेश कलमाड़ी को इन गेम्स के आयोजन कमेटी का अध्यक्ष चुनने और इस दौरान हुए भ्रष्टाचार पर सवाल खड़े किए गए थे। एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक पीएसी ने 14 जनवरी 2005 को तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई मंत्रियों की बैठक और इसमें दिए गए खेल मंत्रालय के बयानों को भी सिरे से खारिज कर दिया है।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जब तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह के पास इस प्रोजेक्ट को लेकर बात आई थी तो उन्होंने इसकी जिम्मेदारी दूसरे को देने की बजाए पहले से निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक इसको आगे बढ़ाने का निर्णय लिया था। इसके अलावा इसकी रिपोर्ट बनाने में भी करीब दो माह की देरी की गई।
अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक राजनीतिक दबाव की वजह से इस दौरान केबिनेट सचिवालय इस बाबत जिम्मेदारी तय करने में भी नाकाम रहा। वहीं यूपीए 2 के दौरान इस पर विचार किया गया।
भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी के नेतृत्व में बनी पीएसी ने इस बाबत सामने आई कैग की रिपोर्ट का गहनता से अध्ययन किया जिसमें कॉमनवेल्थ्ा गेम्स के आयोजन में अनियमितता बरतने की बात कही गई थी। पीएसी ने सीबीआई से इसकी दोबारा जांच करने के लिए भी कहा था। इस संबंध में करीब 33 मामले दर्ज किए गए थे जिसमें से कुछ सुरेश कलमाड़ी और कुछ उनके करीबी सहयोगियों पर दर्ज थे।
गौरतलब है कि दिल्ली में 3-14 अक्टूबर 2010 के बीच राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन किया गया था। इसके आयोजन में अनियमितता बरतने को लेकर कांग्रेस के कई बड़े नेताओं पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे थे। राष्ट्रमंडल खेल समिति के तत्कालीन अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी पर भी कई संगीन आरोप आरोप लगे थे। उनके अलावा करीब दस लोगों पर सीबीआई ने भ्रष्टाचार के आरोप भी तय किए थे।
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