पेगासस जासूसी मामले में सुप्रीम कोर्ट पांच अगस्त को सुनवाई करेगा। मुख्य न्यायाधीश एन वी रमण की बेंच में इस मामले की सुनवाई गुरुवार को होगी। बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ पत्रकार एन राम और शशि कुमार की ओर से अर्जी दाखिल कर स्वतंत्र जांच की मांग की गई थी।
शीर्ष अदालत के प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण की अगुआई वाली बेंच के सामने वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि इस मामले पर सुनवाई की जरूरत है। यह नागरिकों की स्वतंत्रता और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मसला है। इसकी सुनवाई जल्दी होनी चाहिए। सिब्बल ने प्रधान न्यायाधीश के सामने बताया कि सरकार ने पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल कर विरोधी दलों के नेताओं, पत्रकारों और जजों के फोन टैप किए हैं। इसका असर ना केवल देश में बल्कि विदेशों में भी हुआ है। इसपर चीफ जस्टिस रमण ने आगले हफ्ते सुनवाई करने की बात कही थी।
पेगासस पर विपक्ष के निशाने पर केंद्र सरकार
पत्रकारों की ओर से दायर याचिका में पूछा गया है कि क्या भारत सरकार या उसकी किसी एजेंसी ने इस्त्राइली सॉफ्टवेयर पेगासस खरीदने के लिए लाइसेंस लिया था या इस्तेमाल करने के लिए मंजूरी ली थी। बता दें कि पेगासस मामले पर विपक्ष केंद्र सरकार पर हमलावर है। संसद से लेकर सड़क तक विपक्षी दलों के नेता सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। संसद में विपक्षी दलों के सांसद लगातार इस मुद्दे को लेकर हंगामा कर रहे हैं।
जानें- क्या है पेगासस स्पाइवेयर
पेगासस स्पाइवेयर इजरायली साइबर इंटेलिजेंस फर्म ग्रुप द्वारा बनाया गया है, जो निगरानी रखने का काम करता है। कंपनी का दावा है कि इस फर्म का काम इसी तरह के जासूसी सॉफ्टवेयर बनाना है और इन्हें अपराध और आतंकवादी गतिविधियों को रोकने और लोगों के जीवन बचाने के एकमात्र उद्देश्य के लिए सरकारों की खुफिया एजेंसियों को बेचा जाता है। पेगासस एक ऐसा सॉफ्टवेयर है जो बिना सहमति के आपके फोन तक पहुंच हासिल करने और व्यक्तिगत और संवेदनशील जानकारी इकट्ठा कर जासूसी करने वाले यूज़र को देने के लिए बनाया गया है।
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