मुंबई। नोटबंदी की मारामारी के बीच महंगाई के मोर्चे से एक बुरी खबर है। क्रिसिल रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक अगले कुछ महीनों में पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ेंगे। ऐसे में माल ढुलाई की लागत बढ़ेगी, जिसका असर महंगाई पर होगा।
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क्रिसिल की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले 3-4 महीनों के दौरान पेट्रोल 5-8 फीसदी और डीजल 6-8 फीसदी महंगा होगा। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा इसकी वजह होगी। पिछले बुधवार को पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन ओपेक ने फैसला किया है कि तेल उत्पादन में रोजाना 12 लाख बैरल कटौती की जाएगी। इसके बाद तेल के भाव एक बार फिर बढ़ने लगे हैं।
ओपेक के फैसले की वजह से मार्च, 2017 तक अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट कू्रड की कीमत 50-55 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच जाएगी। लेकिन, यदि यह 60 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंचा, जैसा कि कुछ लोगों का मानना है, तो मुंबई में पेट्रोल की कीमत 80 रुपए और डीजल की कीमत 68 रुपए प्रति लीटर हो जाएगी।
ओपेक के लिए चुनौती
रिपोर्ट में कहा गया है, “उत्पादन में कटौती हमेशा कीमतों में इजाफे की वजह बनती है। लेकिन, ओपेक के फैसले की सफलता इसके सदस्य देशों के रुख पर निर्भर करेगी। पहले ऐसे कई मौके आए हैं, जब घरेलू मजबूरियों की वजह से संगठन के सदस्यों ने फैसले की अनदेखी की है।”
वैश्विक पैमाने पर फिलहाल रोजाना जरूरत से 14-17 लाख बैरल ज्यादा कच्चे तेल की आपूर्ति हो रही है। इसका मतलब है कि उत्पादन घटाने को लेकर यदि ओपेक के सदस्य देश फैसले पर कायम रहते हैं, तो अगले साल की दूसरी छमाही में मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन बन जाएगा।
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अमेरिका से राहत
राहत की बात यह है कि कच्चे तेल का भाव 50 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जाते ही अमेरिका के ढेरों शेल तेल उत्पादकों के लिए एक बार फिर यह बिजनेस फायदेमंद हो जाएगा। ऐसे में वहां उत्पादन बढ़ेगा। नतीजतन अंतरराष्ट्रीय बाजार में आपूर्ति बढ़ेगी और कीमतों पर लगाम लगेगा।
तेल के दाम 50 डॉलर से ऊपर निकलते ही अमेरिका में शेल गैस उत्पादकों ने तेल खोज करने वाली मशीनों से धूल झाड़ना शुरू कर दी है, ताकि उत्पादन बढ़ाया जा सके। बहरहाल, तमाम संभावनाओं का विश्लेषण करने के बाद क्रिसिल रिसर्च ने उम्मीद जताई है कि साल 2017 में ब्रेंट कू्रड की कीमत 50-55 डॉलर प्रति बैरल के दायरे में रहेगी।