कपाल का मतलब होता है सिर और भाति का मतलब होता है प्रकाश। इस प्राणायाम के अभ्यास से सिर चमकदार बनता है, इसलिए इसे कपालभाति कहा जाता है। कपालभाति एक ऐसी सांस की प्रक्रिया है जो हमारे शरीर को कई तरीकों से फायदा पहुंचाती है। तो आज हम इन्हीं फायदों के बारे में, इस प्राणायाम को करने के तरीका और जरूरी सावधानियों के बारे में जानने वाले हैं।

कपालभाति करने का तरीका
ध्यान की मुद्रा में बैठ जाएं। आंखें बंद कर लें और पूरे शरीर को ढीला छोड़ दें।
दोनों नाक से धीरे-धीरे सांस लेते हुए पेट में हवा भरें। फिर पेट को बल के साथ सिकोड़ते हुए सांस को छोड़ें। आपको अपना पूरा ध्यान सांस छोड़ने पर लगाना है न कि सांस लेने से। सांस लेने की प्रक्रिया खुद-ब-खुद चलती रहती है।
ऐसे ही एक बार सांस लेने के बाद अपनी क्षमतानुसार सांस छोड़ते जाएं। 10-15 बार कम से कम सांस छोड़े। फिर रिलैक्स हो जाएं। एक दो सांस नॉर्मल लें और दोबारा से लंबी गहरी सांस लेकर लगातार सांस छोड़ने पर ध्यान दें।
शुरुआत में इसे 20 से 30 बार करें और धीरे-धीरे इसे 100-200 तक ले जाएं।
इसके फायदे
– इसे सही तरीके से और नियमित रूप से करने पर ब्लड सर्कुलेशन सुधरता होता है।
– इस योग की मदद से आप न सिर्फ अपना वजन कम कर सकते हैं बल्कि पेट पर जमी चर्बी भी कम कर सकते हैं।
– इसके लगातार अभ्यास से त्वचा में तेज और निखार देखने को मिलता है।
– बाल झड़ने की समस्या को भी कम करने में भी मददगार है यह प्राणायाम।
– लंग्स के साथ लिवर के लिए भी फायदेमंद है। अस्थमा के मरीजों को तो खासतौर से इसका अभ्यास करना चाहिए।
– सांस लेने में किसी तरह की दिक्कत है तो वो इसके अभ्यास से दूर होती है।
– पेट के अंदरूनी अंगों की मालिश हो जाती है इस आसन से, जिससे पाचन क्रिया दुरुस्त रहती है।
– फेफड़ों की कार्य क्षमता सुधरती है।
– शरीर के साथ दिमाग भी एक्टिव और हेल्दी रहता है।
रखें ये सावधानियां
– मेडिटेशन करने से पहले इस आसन का अभ्यास करना चाहिए।
– हृदय रोग, चक्कर की समस्या, हाई ब्लड प्रेशर, मिर्गी, दौरे, हार्निया और अमाशय के अल्सर से पीड़ित व्यक्तियों को यह आसन नहीं करना चाहिए।
– कपालभाति करने के बाद शवासन जरूर करें, जिससे बॉडी रिलैक्स हो जाए।
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